________________ अहम् / पञ्चमगणधरदेव-श्रीमत्सुधर्मस्वामिप्रणीतं // श्रीज्ञाताधर्मकथांगसूत्रम् // // 1 // अथ श्री उत्क्षिप्ताख्यं प्रथममध्ययनम् // . ते णं काले णं ते णं समए णं चंपानामं नयरी होत्था वराणश्रो // सूत्रं 1 // तीसे णं चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीमाए पुगण,भहे नाम चेइए होत्था, वरणश्रो // सूत्रं 2 // तत्थ णं चंपाए नयरीए कोणिको नाम राया होत्या वराणो॥ सूत्रं 3 // ते णं काले णं ते णं समए णं समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतेवासी अजसुहम्मे नाम थेरे जातिसंपन्ने कुलसंपराणे बलरूव-विणय-णाणदसण-चरित्तलाघवसंपगणे अोयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहे जियमाणे जियमाए जियलोहे जियइंदिए जियनिहे जियपरिसहे जीवियास-मरणभय विप्पमुक्के तवप्पहाणे गुणप्पहाणे एवं करणचरणनिग्गह-णिच्छय-अजव मद्दवलाघव-खंति-गुत्तिमुत्ति 10 विजामंत-बंभवय(चेर)नयनियम-सच्चसोय-गाणदसण 20 चरित्तप्पहाणे, अोराले घोरे घोरव्वए घोरतवस्सी घोरखंभचेर. वामी उच्छूसरीरे संखितविउल-तेयल्लेसे(तेउलेसे) चोदसपुवी चउणाणो. वगते पंचहि अणगारमएहिं सद्धिं संपरिवुडे पुवाणुपुचि चरमाणे गामागुगामं दूतिजमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव चंपा नयरी जेणेव पुराणभद्दे चतिए तेणामेव उवागच्छइ उवागच्छइत्ता प्रहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति // सूत्र 4 //