________________ श्रमिंदागमसुधासिन्धुः :: चतुर्थो विभागः सोम्मा सुजाय-सब्ग-सुंदरीयो पहाण-महिलागुणेहिं जुता, अतिकंत-विसप्पमाण-मउदय-सुकुमाल-कुम्मसंठिय-विसिट्ठ-चलणा, उज्जु-मउय-पीवर सुसाहतंगुनीयो, अब्भुन्नत-रतित-तलिण-तंब-सुइ-निद्धनखा. रोमरहिय-वट्टसंठियअजहन्न-पसत्थ-लक्खण-अकोप्प-जंघजुयला, सुणिम्मित-सुनिगूढजाणुमंसल-पसत्य-सुबद्धसंधी, कयली-खंभातिरेक-संठिय-निव्वण-सुकुमालमउय-कोमल-अविरल-समसहित-सुजाय-बट्टमाण-पीवर-निरन्तरोरू अट्ठावय-वीइ-पट्ट-संठिय-पसत्थ-विच्छिन्न-पिहुलसोणी, वयणायामप्पमाण-दुगुणिय-विसाल-मंसल-सुबद्ध-जहण-वर-धारिणीयो, वजविराइय-पसत्य-लक्खण-निरोदरीयो 17 / तिवलि-वलिय-तणुनमियमझियायो, उज्जुय-समसहिय-जन्म-तणु-कसिण-निद्ध-श्रादेज-लडहसुकुमाल-मउय-सुविभत्त-रोमराजीथा गंगावत्तग-पदाहिणाबत्त-तरंगभंगरविकिरण-तरुण-बोधित-श्राकोसायंत-पउम-गंभीर-विगड-नाभा, अणुब्भडपसत्य-सुजात-पीणकुच्छी, सन्नतपासा, सुजातपासा, संगतपासा, मिय-मायियपीण-रतितपासा, अकरंडुय-कणग-रुयग-निम्मल-सुजाय-निरुवहय-गायलट्ठी, कंचण-कलस-पमाण-समसहिय-लट्ठचुचूय-श्रामेलग-जमल-जुयलवट्टिय-पोहरायो भुयंग-अणुपुव्व-तणुय-गोपुच्छ-बट्ट-समसहियनमियादेज-लडहबाहा, 18 | तंबनहा, मंसलग्गहत्था कोमल-पीवरवरंगुलीया, निद्ध-पाणिलेहा, ससि-सूर-संख-चक-वर-सोत्थिय-विभत्त-सुविरइयपाणिलेहा, पीणुराणय-कक्ख-वस्थिप्पदेस-पडिपुन्न-गल-कवोला, चउरंगुलसुप्पमाण-कंबु-वर-सरिसगीवा, मंसल-संठिय-पसत्थ-हणुया, दालिम-पुष्फप्पगास-पीवर-पलंब-कुचित-वराधरा, सुंदरोत्तरोत्तरोहा, दधि-दगरय-कुंदचंदवासंति-मउल-अच्छिद-विमलदसणा, रत्तुप्पल-पउमपत्त-सुकुमाल-तालुजीहा, कणवीर-मुउलऽकुडिलब्भुन्नय-उज्जु-तुंगनासा, सारद नवकमल-कुमुत-कुवलयदल-निगर-सरिस-लक्खण-पसत्थ-अजिम्ह(निम्मल)कंतनयणा, 11 / पाना