________________ (399 श्रीमत्प्रश्नध्याकरणदशाङ्ग-त्रम् / अध्ययने 5 ] अपरिमिय-मगांत-तरह-मणुगय-महिन्छ-सार-निरयमूलो 1 / लोभ-कलिकसाय-महक्खंधो, चिंतासय निचिय-विपुल-सालो, गारव-पविरल्लियग्ग-विडवो, नियडि-तया-पत्त-पल्लव-धरो, पुष्फफलं जस्स कामभोगा श्रायास-विसूरणाकलह-पकंपियग्ग-सिहरो, नरवति-संपूजितो, बहुजणस्स हिययदइयो, इमस्स मोक्ख-वर-मोत्ति-मग्गस्स फलिहभूयो चरिमं अहम्मदारं 2 // सू० 17 // तस्स य नामाणि इमाणि गोराणाणि होति तीसं, तंजहा-परिग्गहो ? संचयो 2 चयो 3. उवचत्रो 4 निहाणं 5 संभारो 6 संकरो 7 श्रायरो - पिंडो 1 दव्वसारो 10 तहा महिच्छा 11 पडिबंधो 12 लोहप्पा 13 महिड्डि-हद्दी (महपरिवया)(महइ) 14 उवकरणं 15 संरक्खणा य 16 भारो 17 संपाय-उप्पायको 18 कलि-करंडो 11 पवित्थरो 20 अगत्थो .21 संथवो 22 अगुत्ती (अकीत्ति) 23 श्रायासो 24 अविश्रोगो 25 श्रमुत्ती 26 तराहा 27 अणत्थको 28 पासत्ती 21 असंतोसोत्तिविय 30, तस्स एयाणि एयाणि एवमादीणि नामधेजाणि होति तीसं // सू० 18 // तं च पुण परिग्गहं ममायंति लोभघत्था भवण-वर-विमाण-वासिणो परिग्गहरुती परिग्गहे विविह-करणबुद्धी देवनिकाया य, असुर-भुयग-सुवराणे(गरल). विज्जु-जलण-दीव-उदहि-दिसि-पवण-थणिय-श्रणवंनिय-पणवंनिय-इसिवातियभूतवाइय-कंदिय-महाकंदिय-कुहंड-पतंगदेवा पिसाय-भूय-जक्ख-रक्खस-किनर. किंपुरिस-महोरग गंधवा य 1 / तिरियवासी पंचविहा जोइसिया य देवा बहस्सती-चंद-सूर-सुक्क-सनिच्छरा राहु-धूमकेउ-बुधा य अंगारका य तत्ततवणिज-कणयवराणा जे य गहा जोइसम्मि चारं चरंति केऊ य, गतिरतीया अट्ठावीसति-विहा य नक्खत्त-देवगणा, नाणासंगण-संठियायो य तारगायो, ठियलेस्सा चारिणो य अविस्साम-मंडलगती 2 / उपरिचरा उडलोगवासी दुविहा वेमाणिया य देवा, सोहम्मीसाण-सणंकुमार-माहिंद-बंभलोगलंतक-महासुक-सहस्सार-प्राणय-पाणय-श्रारण-अच्चुया, कम्पवरविमाण