________________ श्रीमत्प्रश्नव्याकरणदशाङ्ग-सूत्रम् - अध्ययनं 4 ] ( 361 खेड-कबड-मडंब-संवाह-पट्टणसहस्समंडियं थिमियमेयणियं एगच्छत्तं ससागरं भुजिऊण वसुह, नरसीहा, नरबई, नरिंदा, नरवसभा, मरुयवसभकप्पा, अमहियं रायतेयलच्छीए दिप्पमाणा, सोमा, रायवंसतिलगा 2 / रवि-ससि-संख-वरचक-सोत्थिय-पडाग-जब-मच्छ-कुम्म-रहवर-भगभवण-विमाण-तुरय-तोरगा-गोपुर-मणि-रयण-नंदियावत्त मुसल-शंगरसुरइयवरकप्परक्ख-मिगपति-भद्दासण-सुरुचि-थूम-वरमउड-सरिय-कुंडलकुंजर-वरवसभ-दीव-मंदर-गरुल-ज्झय-इंदकेउ-दप्पण-अट्ठावय-चावबाण-नक्खत्त-मेह-मेहल-वीणा-जुग-छत्त-दाम-दामिणि-कमंडलु-कमल घंटा-वरपोत-सूइ-सागर-कुमुदागर-मगर-हार-गागर-नेउर-णग-णगरवइर-किन्नर-मयूर-वररायहंस-सारस-चकोर-चकवाग-मिहुण-चामरखेडग-पब्बीसग-विपंचि-वरतालियंट-सिरियाभिसेय-मेइणि-खग्गं-कुसविमलकलस-भिंगार-वद्धमाणग-पसत्थ-उत्तम-विभत्त-वरपुरिस-लक्ख-णधरा, 3 / बत्तीसं वरराय-सहस्साणुजायमग्गा, चउसट्ठि-सहस्स-पवर-जुवतीण णयणकता, रत्ताभा, पउम-पम्ह-कोरंटग-दामचंपक-सुतयवर-कणक निह-सवन्ना, सुवरणा, सुजाय-सव्वंग-सुदरंगा, महग्य-वर-पट्टणुग्गय-विचित्त-राग-एणिमे(पे)णिणिम्मिय-दुगुल्ल-वर-चीणपट्ट-कोसेज-सोणीसुत्तक(जा-खोमिय)विभूसियंगा, वरसुरभि-गंधवर-चुराणवास-वरकुसुम-भरियसिरया, कप्पियछेयारिय-सुक्य-रइत-मालकडग-कुडलंगय-तुडिय-पवर-भूसण-पिणद्धदेहा एकावलि-कंठ-सुरइय-वच्छा पालंब पलंबमाण-सुकय-पडउत्तरिज्ज-मुद्दियापिंगलंगुलिया, उज्जल-नेवत्थ-रइय-चेल्लग-विरायमाणा, तेएण दिवाकरोव्व दित्ता सारय-नवत्थणिय-महुर-गंभीर-निद्धघोसा, 4 / उप्पन्न-समत्तरयण-चकरयणप्पहाणा, नवनिहिवइणो, समिद्धकोसा, चाउरंता, चाउराहिं सेणाहिं समणु. जातिज्जमाणमग्गा, तुरगाती गयवती रहवती नरवती विपुल-कुलवीसुयजसा, सारय-ससि-सकल-सोमवयणा, सूरा, तेल्लोक-निग्गय-पभाव