Book Title: Uttaradhyayan Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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उत्तराध्ययन सूत्र - द्वितीय अध्ययन
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जे भिक्खू सुच्चा णच्चा जिच्चा अभिभूय भिक्खायरियाए परिव्वयंतो पुट्ठो णो विणिहणेज्जा ।
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भावार्थ - गुरु महाराज फरमाते हैं कि हे शिष्य ! काश्यप गोत्रीय श्रमण भगवान् महावीर स्वामी द्वारा कहे हुए वे बाईस परीषह ये हैं जिन्हें सुन कर, जान कर, अभ्यस्त कर और जीत कर साधु भिक्षाचर्या में जाते हुए परीषहों के उपस्थित होने पर संयम से विचलित न होवे । बाईस परीषहों के नाम
तं जहा (१) दिगिंछा परीसहे (२) पिवासा परीसहे (३) सीय परीसहे (४) उसिण परीस (५) दंसमसग परीसहे (६) अचेल परीसहे (७) अरइ परीसहे (८) इत्थी परीसहे (ह) चरिया परीसहे (१०) णिसीहिया परीसहे (११) सिज्जा परीसहे (१२) अक्कोस परीसहे (१३) वह परीसहे (१४) जायणा परीसहे (१५) अलाभ परीस (१६) रोग परीसहे ( १७ ) तणफास परीसहे (१८) जल्ल परीसहे (१६) सक्कार - पुरस्कार परीसहे (२०) पण्णा परीसहे (२१) अण्णाण परीसहे (२२) दंसण परीसहे ।
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वे २२ परीषह इस प्रकार हैं, दिगिंछा
कठिन शब्दार्थ एवं भावार्थ तंजहा परीसहे- क्षुधा का परीषह, पिवासा परीसहे प्यास का परीषह, सीय परीसहे - शीत का परीषह, उसिण परीसहे - उष्ण (गर्मी का) परीषह, दंसमसग परीसहे दंशमशक (डाँस मच्छर आदि से होने वाला) परीषह, अचेल परीसहे वस्त्र के अभाव से अथवा जीर्ण या अल्प वस्त्रों से होने वाला परीषह, अरइ परीसहे - अरति अर्थात् संयम में रति न होने का परीषह, इत्थी परीसहे स्त्री का परीषह, चरिया परीसहे चर्या ( विहार का ) परीषह, णिसीहिया परीसहे- निषद्या ( एकान्त स्थान में बैठने का) परीषह, सिज्जा परीसहे - शय्या ( रहने के स्थान की प्रतिकूलता से होने वाला) परीषह, अक्कोस परीसहे - आक्रोश (गाली आदि कठोर वचनों का) परीषह, अलाभ परीसहे - अलाभ (भिक्षा में आहारादि न मिलने का) परीषह, रोग परीसहे - रोग परीषह, तणफास परीसहे तृण स्पर्श परीषह, जल्ल परीसहे - मैल परीषह, सक्कार पुरस्कार परीसहे - सत्कार - पुरस्कार परीषह (सत्कार एवं मान प्रतिष्ठा मिलने पर हर्षित न होना और न मिलने पर खिन्न न होना), पण्णा परीसहे
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