Book Title: Uttaradhyayan Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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उत्तराध्ययन सूत्र - उन्नीसवां अध्ययन kkakkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkk
कठिन शब्दार्थ - खुरेहिं - उस्तरों से, तिक्खधाराहिं - तीक्ष्ण धार वाले, छुरियाहिं - छुरियों से, कप्पणीहि - कैचियों से, कप्पिओ - काटा गया, उक्कित्तो - चमड़ी उधेड़ी गई।
भावार्थ - परमाधार्मिक देवों द्वारा मैं कतरणियों से अनेक बार कतरा गया, छुरियों से चीर कर दो टुकड़े कर दिया गया और तीक्ष्ण धार वाले उस्तरों से छेदन कर दिया गया और अनेक बार मेरी चमड़ी उतार कर काचरे के समान छील दिया गया।
पासेहिं कूडजालेहिं, मिओ वा अवसो अहं। वाहिओ बद्धरुद्धो य, बहसो चेव विवाइओ॥६४॥
कठिन शब्दार्थ - पासेहिं - पाशों से, कूडजालेहिं - कूट जालों से; मिओ - मृग, वाहिओ - छल पूर्वक पकड़ा गया, बद्धरुद्धो - बांध कर रोका गया, बहुसो - अनेक बार, विवाइओ- विनष्ट किया गया।
भावार्थ - मृगवत् परवश पड़ा हुआ मैं पाशों से और कूटपाशों से धोखा देकर बांध कर रोक लिया गया और बहुत बार मारा गया।
गलेहिं मगरजालेहिं, मच्छो व अवसो अहं। उल्लिओ फालिओ गहिओ, मारिओ य अणंतसो॥६५॥
कठिन शब्दार्थ - गृलेहिं - गलों - मछली को फंसाने के कांटों, मगरजालेहिं - मगरों को पकड़ने के जालों से, मच्छो व - मछली के समान, अवसो - परवश, उल्लिओ- खींचा गया, गहिओ - पकड़ा गया, मारिओ - मारा गया। . ..
___ भावार्थ - बड़िश यंत्र से मगर के आकार वाले जालों से मछली के समान परवश में अनन्ती बार खींचा गया, फाड़ा गया, पकड़ा गया और मारा गया। .
विदंसएहिं जालेहिं, लिप्पाहि सउणो विव। गहिओ लग्गो य बद्धों य, मारिओ य अणंतसो॥६६॥
कठिन शब्दार्थ - विदसएहिं - बाज पक्षियों से, जालेहिं - जालों से, लिप्याहिं - लेपों से, सउणो विव - पक्षी की भांति, गहिओ - पकड़ा गया, लग्गो - चिपकाया गया, बद्धो - बांधा गया, मारिओ - मारा गया। . भावार्थ - बाज पक्षियों से, जालों से, लेपों से (पंख चिपक जाने वाले द्रव्यों से) पक्षी के समान व अनन्ती बार पकड़ा गया, चिपटाया गया, बांधा गया और मारा गया।
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