Book Title: Uttaradhyayan Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 384
________________ मृगापुत्रीय - नरकादि गतियों के दुःखों का वर्णन ******************kkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkk kkkkkkkkkkkkkkkkkkk ऊंचे, सिंबलिपायवे - शाल्मलि वृक्ष पर, खेवियं - भोग चुका हूं, पासबद्धेणं - पाश से बांध कर, कडोकहाहिं - इधर-उधर खींचतान करने से। भावार्थ - अत्यन्त तीक्ष्ण कांटों से व्याप्त ऊँचे शाल्मलि वृक्ष पर मुझे पाश से बांध दिया गया तथा काँटों पर इधर-उधर खींचे जाने से मैंने अत्यन्त असह्य दुःखों को सहन किया है। महाजंतेसु उच्छू वा, आरसंतो सुभेरवं। पीडिओमि सकम्मे हिं, पावकम्मो अणंतसो॥५४॥ कठिन शब्दार्थ - महाजंतेसु - बड़े बड़े यंत्रों (कोल्हुओं) में, उच्छू - इक्षु की तरह, आरसंतो - आक्रन्दन करता हुआ, सुभेरवं - अत्यंत भयानक, पीडिओमि - पीला गया हूं, सकम्मेहिं - अपने कर्मों के कारण, पावकम्मो - पाप कर्मा, अणंतसो - अनन्त बार। भावार्थ - अत्यन्त रौद्रतापूर्वक रुदन करता हुआ पापकर्मों वाला मैं अनन्ती बार अपने अशुभ कर्मों से बड़े-बड़े यंत्रों में डाल कर इक्षु-गन्ने के समान पीला गया हूँ। कूवंतो कोलसुणएहिं, सामेहिं सबलेहि य। - पाडिओ फालिओ छिण्णो, विप्फुरंतो अणेगसो॥५५॥ · कठिन शब्दार्थ - कूवंतो - चिल्लाते हुए, कोलसुणएहिं - सूअर और कुत्ते के रूप में, सामेहिं - श्याम, सबलेहि - शबल नामक परमाधार्मिक देवों द्वारा, पाडिओ - नीचे गिराया गया, फालिओ - फाड़ा गया, छिण्णो - छेदा गया। . भावार्थ - आक्रन्दन करता हुआ तथा भय से इधर-उधर दौड़ता हुआ मैं सूअर और कुत्तों का रूप धारण करने वाले श्याम और शबल जाति के परमाधार्मिक देवों द्वारा भूमि पर गिराया गया जीर्ण कपड़े के समान चीर दिया गया और लकड़ी के समान छेदा गया। असीहिं अयसीवण्णेहिं, भल्लीहिं पट्टिसेहि य। छिण्णो भिण्णो विभिण्णो य, उववण्णो पावकम्मुणा॥५६॥ कठिन शब्दार्थ - असीहिं - तलवारों से, अयसीवण्णेहिं - अलसी के फूलों के समान नीले रंग की, भल्लीहिं - भालों से, पट्टिसेहि - पडिस-लोहे के दण्डों से, भिण्णो - भेदा गया, विभिण्णो - खण्ड खण्ड कर दिया गया, उववण्णो - उत्पन्न हुआ। - भावार्थ - पापकर्मों से नरक में उत्पन्न हुआ मैं अलसी के वर्ण सरीखी तलवारों से भालों से और पट्टिश नामक शस्त्र विशेष से (लोहे के दण्डों से) छेदन किया गया, भेदन किया गया और विभिन्न-छोटे-छोटे टुकड़े - किया गया। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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