Book Title: Uttaradhyayan Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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उत्तराध्ययन सूत्र - सातवां अध्ययन Akkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkk
मार्ग में चलते हुए उसे वह काकिणी याद आयी तो वह जंगल में कहीं जगह देख कर हजार कार्षापण छुपाकर वह काकिणी लेने को वापस लौट पड़ा परन्तु वह काकिणी उसे नहीं मिली। उसे किसी ने उठा लिया। वह निराश होकर पुनः वहाँ आया जहाँ उसने एक हजार कार्षापण छुपा कर रखे थे। किन्तु वहाँ आने पर उसे जब वह हजार कार्षापण की थैली नहीं मिली तो उसे महान् दुःख हुआ। क्योंकि उस थैली को छुपाते समय किसी ने देख लिया और उसके जाने के बाद छुप कर उस थैली को उठा लिया। वह व्यक्ति हजार कार्षापण के खो जाने से अत्यंत दुःखित होकर उस जंगल में विलाप करने लगा। ____जो व्यक्ति थोड़े से इन्द्रियजन्य भौतिक सुखों के लिए मानव जीवन की बहुमूल्य संपदा को खो देता है उसे अंत में इसी प्रकार पश्चात्ताप करना पड़ता है।
२. आम्र का दृष्टान्त - एक बीमार नृप को चिकित्सक - वैद्य ने आम खाने का सर्वथा निषेध कर दिया। चिकित्सक-वैद्य ने उपचार इसी शर्त पर किया कि आम खाना तो दूर उसकी गंध से भी दूर रहा जाय। एक आम ही प्राणों को नष्ट करने वाला हो सकता है। राजा ने वैद्य की सभी शर्ते स्वीकार करके उपचार लिया और स्वस्थ हो गया। ___कुछ वर्षों बाद राजा वन भ्रमण को निकला। मंत्री उसके साथ था। मंत्री के मना करने पर भी राजा एक आमवृक्ष के नीचे बैठ गया। पके हुए आमों की मीठी सुगंध ने उसके मन को आकर्षित कर लिया। राजा से नहीं रहा गया। उसने मंत्री के मना करने पर भी यह कहते हुए आम खा लिया कि एक आम से क्या होता है? राजा के लिए आम अपथ्य था। राजा वहीं मर गया। स्वाद के क्षणिक सुख के लिए राजा ने अपने अमूल्य प्राण गंवा दिये। यही भोगासक्त जीवों की स्थिति होती है।
एवं माणुस्सगा कामा, देवकामाण अंतिए। सहस्स गुणिया भुजो, आउं कामा य दिग्विया॥१२॥
कठिन शब्दार्थ - माणुस्सगा - मनुष्य संबंधी, देवकामाण - देव संबंधी कामभोगों के, अंतिए - समक्ष, सहस्स गुणिया - सहस्र (हजार) गुणा, भुजो - बार-बार, दिव्वियादेव संबंधी। - भावार्थ - इसी प्रकार देव सम्बन्धी कामभोगों के सामने मनुष्य सम्बन्धी काम-भोग भी काकिणी और आम के समान तुच्छ है, देव सम्बन्धी. काम भोग और दिव्य आयु (मनुष्य संबंधी, काम-भोग और आयु की अपेक्षा) अनेक हजार गुणा अधिक हैं।
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