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, नमि प्रव्रज्या - प्रथम प्रश्न-मिथिला में कोलाहल क्यों?
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भावार्थ - उस समय राजर्षि नमिराज के गृहस्थावस्था से निकलने पर और प्रव्रज्या धारण करने के लिए घर से निकलने पर मिथिला नेगरी में चारों ओर कोलाहल होने लगा।
- विवेचन - शास्त्रकारों ने नमिराज को गृहस्थावस्था में भी 'राजर्षि' कहा है। इसका . कारण यह है कि जो राजा न्यायी होता है और क्रोधादि छह अन्तरंग शत्रुओं को जीत लेता है, वह राजर्षि कहलाता है।
देवेन्द्र ब्राह्मण के रूप में अन्भुट्टियं रायरिसिं, पव्वजा ठाणमुत्तमं। .. सक्को माहणरूवेण, इमं वयणमब्बवी॥६॥
कठिन शब्दार्थ - अब्भुट्टियं - उद्यत हुए, रायरिसिं - सजर्षि को, पव्वजा ठाणं - दीक्षा स्थल के लिए, उत्तमं - उत्तम, सक्को - देवेन्द्र शक, माहणरूवेण - ब्राह्मण के वेश में, इमं - इस प्रकार, वयणं - वचन, अब्बवी - कहने लगा।
भावार्थ - उत्तम सम्यग्दर्शनादि गुणों के आधार रूप प्रव्रज्या-स्थान में, अभ्युद्यत (स्थित) . राजर्षि नमिराज से ब्राह्मण का रूप धारण करके शक्रेन्द्र ने इस प्रकार वचन कहा (प्रश्न किया)।
प्रथम प्रश्न - मिथिला में कोलाहल क्यों? किण्णु भो! अजमिहिलाए, कोलाहलग-संकुला। सव्वंति दारुणा सद्दा, पासाएसु गिहेसु. य॥७॥
कठिन शब्दार्थ - किण्णु - क्यों?, अज - आज, कोलाहलग - कोलाहल से, संकुला - व्याप्त, सुव्बंति - सुनाई दे रहे हैं, दारुणा - दारुण, सहा - शब्द, पासाएसु - प्रासादों में, गिहेस - घरों में। . भावार्थ - हे नमिराजर्षि! आज मिथिला नगरी के प्रासादों (राजमहलों) में और घरों में कोलाहल से व्याप्त, हृदय को विदीर्ण करने वाले भयंकर विलाप आक्रन्दन आदि शब्द क्यों सुनाई देते हैं?
नमिराजर्षि का उत्तर एयमह णिसामित्ता, हेउकारणचोइओ। तओ णमी रायरिसी, देविंद इणमब्बवी॥६॥
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