Book Title: Uttaradhyayan Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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हरिकेशीय - यज्ञ के साधन
२१५ ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★
प्रश्न - अग्नि कुण्ड कौनसा है? उत्तर - जीवात्मा।
प्रश्न - अग्निकुण्ड में जिसके द्वारा चरु आदि की आहुति दी जाती है वह मूव-स्रोआ कौन सा है?
उत्तर - मन, वचन और काया रूप योग। प्रश्न - यज्ञ की सामग्री कौनसी है? उत्तर - शरीर। प्रश्न - यज्ञ के लिए समिधा कौन-सी है? उत्तर - शुभाशुभ कर्म। . प्रश्न - शांति पाठ कौनसा है? उत्तर - संयम व्यापार। प्रश्न - किस हवन से अग्नि को प्रसन्न करते हो?
उत्तर - उक्त प्रकार के हवन से अग्नि को प्रसन्न करते हैं जो ऋषियों के लिए प्रशस्त है। ... यज्ञ के स्वरूप का निश्चय करने के बाद अब ब्राह्मण लोग स्नानादि क्रिया के विषय में पूछते हैं -
के ते हरए के य ते संति-तित्थे?. कहंसि पहाओ व रवं जहासि?। आइक्ख णे संजय! जक्ख-पूइया!, इच्छामो जाउं भवओ सगासे॥४५॥
कंठिन शब्दार्थ. - हरए - ह्रद (जलाशय), संतितित्थे - शांति तीर्थ, हाओ - स्नान करते हुए, रयं - कर्म रज को, जहासि - छोड़ते हो, आइक्ख - बताइये, जक्खपूड्या- हे यक्ष पूजित, इच्छामो - चाहते हैं, णाउं - जानने को, भवओ - आपके, सगासे - समीप।
भावार्थ - आपके स्नान करने के लिए जलाशय कौनसा है और आपके शान्ति तीर्थ अर्थात् पापों को शांत करने वाला तीर्थ कौनसा है अथवा कहाँ स्नान करके आप कर्म-रज का त्याग करते हो? हे यक्षों से पूजित! संयत (संयति) हमें बतलाइये हम आपके पास से जानना चाहते हैं।
विवेचन - प्रस्तुत गाथा में ब्राह्मणों ने मुनि से तीन प्रश्न पूछे हैं - १. जलाशय २. शांतिरूप तीर्थ और ३. स्नान करने का स्थान कौनसा है ? मुनि द्वारा दिया गया उत्तर इस प्रकार हैं
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