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उत्तराध्ययन सूत्र - चौदहवां अध्ययन
भावार्थ - राग-द्वेष को जीतने वाला तीर्थंकर भगवान् के शासन में पूर्वभव की भावना से भावित हुए वे छहों जीव थोड़े ही समय में समस्त दुःखों के अन्त को प्राप्त हो गये अर्थात् सिद्ध-बुद्ध-मुक्त हो गये ।
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उपसंहार
राया सह देवीए, माहणो व पुरोहिओ ।
माहणी दारगा चेव, सव्वे ते परिणिव्वुडे । त्ति बेमि ।। ५३ ।।
कठिन शब्दार्थ - राया राजा, देवीए सह- कमलावती रानी के साथ, माहणो ब्राह्मण, पुरोहिओ पुरोहित, माहणी - ब्राह्मणी, दारगा- दोनों पुत्र, परिणिव्वुडे - परिनिर्वृत
• मोक्ष को प्राप्त हुए।
भावार्थ
कमलावती रानी सहित इषुकार राजा और ब्राह्मण भृगु पुरोहित तथा ब्राह्मणी उसकी भार्या यशा और दोनों कुमार वे सभी जीव मोक्ष को प्राप्त हो गये। ऐसा मैं कहता हूँ।
॥ इति इषुकारीय नामक चौदहवाँ अध्ययनं समाप्त ॥
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