Book Title: Uttaradhyayan Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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उत्तराध्ययन सूत्र - चौदहवां अध्ययन **kkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkxxakt
भावार्थ - इस पर दोनों पुत्रों ने उत्तर दिया कि, हे पिताजी! यह लोक मृत्यु से पीड़ित हो रहा है जरा से घिरा हुआ है और रात-दिन रूपी अमोघ शस्त्रधारा कही गई है, जिससे प्रतिक्षण आयुष्य घटता जा रहा है - इस प्रकार आप समझो।
जा जा वच्चइ रयणी, ण सा पडिणियत्तइ। अहम्मं कुणमाणस्स, अफला जंति राइओ॥२४॥ ..
कठिन शब्दार्थ - जा जा - जो जो, वच्चइ - व्यतीत होती जा रही है, रयणी - रात्रि, ण पडिणियत्तइ - लौट कर नहीं आती, अहम्मं - अधर्म (पाप) का, कुणमाणस्स - सेवन करने वाले को, अफला - निष्फल, जंति - जाती हैं, राइओ - रात्रियाँ। _ भावार्थ - जो जो रात्रि व्यतीत होती जा रही है वह पुनः लौट कर नहीं आती अर्थात् गया हुआ समय फिर नहीं लौटता किन्तु अधर्म (पाप) का सेवन करने वाले प्राणी की वे सब रात्रियाँ निष्फल जाती हैं। .
जा जा बच्चइ रयणी, ण सा पडिणियत्तइ। धम्मं च कुणमाणस्स, सफला जंति राइओ॥२५॥ . कठिन शब्दार्थ - धम्म - धर्म का, सफला - सफल।
भावार्थ - जो जो रात्रि व्यतीत होती जा रही है वह लौट कर नहीं आ सकती; किन्तु धर्म का सेवन करने वाले प्राणी की वे सब रात्रियों सफल हो जाती हैं अर्थात् धर्म का आचरण करने वाले पुरुष का जीवन सफल है। - विवेचन - अब पुत्रों ने यह कहा कि हम घर में जरा सा भी सुख नहीं पा रहे हैं। घर हमारे लिए अब जेलखाना है तब पिता ने जिज्ञासा वश पूछा कि- १. लोक किससे आहत (पीड़ित) है २. किससे घिरा हुआ है और ३. अमोघा क्या है? पिता के इन प्रश्नों का पुत्रों ने इस प्रकार उत्तर दिया - १. यह जगत् मृत्यु से पीड़ित है २. वह वृद्धावस्था से घिरा हुआ है। ३. अधर्मरात्रि अमोघा है। क्योंकि धर्म करने वाले की रात्रियाँ सफल होती हैं और अधर्म करने वाले की रात्रियाँ निष्फल जाती हैं। निष्फल रात्रियाँ मनुष्य के लिए दुःख और संसार परिभ्रमण का कारण होती हैं।
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