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प्रश्न हम किस जलाशय में स्नान करें ?
उत्तर
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स्नान,
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हरिकेशीय - उपसंहार
एवं सिणाणं कुसलेहि दिट्ठ, महासिणाणं इसिणं पसत्थं ।
जहिंसि हाया विमला विसुद्धा, महारिसी उत्तमं ठाणं पत्ते ॥ ४७ ॥ त्ति बेमि ॥ ॥ हरिएसिज्जं बारहं अज्झयणं समत्तं ॥
कठिन शब्दार्थ - कुसलेहि - कुशल पुरुषों ने, दिट्ठ - देखा है, महासिणाणं महारिसी - महर्षि, उत्तमं उत्तम, ठाणं - स्थान को, पत्ते प्राप्त हो गए। भावार्थ तत्त्वज्ञान में कुशल पुरुषों ने अपने ज्ञान में कर्ममल को दूर करने वाला यह स्नान देखा है, यही महास्नान है और ऋषियों द्वारा इसकी प्रशंसा की गई है। जिस स्नान द्वारा स्नान करने वाले महर्षि लोग कर्म-मल रहित और विशुद्ध होकर उत्तम स्थान (मोक्ष को ) प्राप्त हुए हैं। इस प्रकार मैं कहता हूँ ।
विवेचन - जिस स्नान को ब्राह्मणों ने उत्तम समझा है वह स्नान, कर्म मल को दूर करने में समर्थ नहीं किन्तु प्रस्तुत आध्यात्मिक स्नान ही उत्तम और महास्नान है। अतएव इसी स्नान के द्वारा महर्षि लोग उत्तम स्थान मोक्ष को प्राप्त हुए हैं।
॥ इति हरिकेशीय नामक बारहवाँ अध्ययन समाप्त ॥
तुम भी इसी जलाशय में स्नान करके कर्ममल से रहित होने का प्रयत्न करो ।
उपसंहार
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महा
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