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चन्द्रसूर्यग्रहणफलम्
(३७) गर्भाः श्रावणकेऽश्वगर्दभभवास्तूर्णा पतन्त्युल्वणम्,
स्त्रीगर्भान् विनिहन्ति भाद्रपदके सौख्यं मुभिक्षं जने । कुर्यादाश्विनकेऽथ सूर्यशशिनोरेकत्र मासे ग्रह -
छन्वं चेन्नरनायका बहुबला युद्धयन्ति कोपोत्कटाः॥१९८॥ कदाचिदधिके मासे ग्रहणं चन्द्रसूर्ययोः । सर्वराष्ट्रभयं भङ्गः क्षयं यान्ति महीभुजः ॥ १६ ॥ रवेर्ग्रहाच पक्षान्ते यदि चन्द्रग्रहो भवेत् । तदा दर्शनिनां पूजा धर्मवृद्धिमहोदयः ।। २००॥ क्रूरसंयुक्तसूर्येन्द्रोग्रहणे नृपतिक्षयः । राष्ट्रभङ्ग इति प्रादुर्भद्रबाहुमुनीश्वराः ॥ २०१॥ रविवारे ग्रहे वर्ष मध्यमं धान्यसङ्गहः । राजयुद्धं च दुर्मिक्षं घृतायस्तैलविक्रयाः ॥२०२॥ सोमेऽर्द्धग्रहणे राजविग्रहोऽन्नमहर्घता। गदहियों के गर्भ पतित हों, बिजली वा करकादिक पड़े। भाद्रपद में हो तो स्त्रियों के गर्भ पतित हों आसोज मास में हो तो लोग में सुख और सुभिक्षा हो। यदि एक ही मास में सूर्य और चन्द्रमा ढोनों का ग्रहण हो तो राजा लोग परस्पर महा क्रोध करके युद्ध करने तत्पर हो ॥ १८॥
कभी अधिक मास में चन्द्र सूर्य का ग्रहण हो तो राष्ट्र भंग और राजाओं का क्षय हो ॥ १६६ ॥ सूर्य के ग्रहण बाद एक ही पक्षान्त में यदि चन्द्रग्रहण हो तो साधु जनों की पूजा, धर्म की वृद्धि और बड़े पुरुषों का उदय हों ।। २०० ।। क्रूर ग्रह से युक्त सूर्य चन्द्रमा का ग्रहण हो तो राजाओं का नाश और देश भंग हो, ऐसे भद्रबाहु मुनीश्वर कहते हैं ।। २०१॥ रविवार को ग्रहण हो तो वर्ष मध्यम रहें, धान्य का संग्रह करना उचित है, राजयुद्ध दुर्भिक्ष घृत लोहा और तैल इनका विक्रय करना ॥ २०२ ॥ सोमवार को ग्रहण हो तो राजविग्रह, अनाज के भाव तेज,
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