Book Title: Meghmahodaya Harshprabodha
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Bhagwandas Jain

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Page 512
________________ मेघमहोदये तदा कृष्टिस्तु महती सावित्री स्पर्शनेऽल्पिका:10 अन्यच्च-दिणयाहिवस्स तइए पंचमनवमे जलग्गहो जासिं। लहुवरिसस्सइ मेहो दिननवसगपंचममम्मि ॥९॥ मंत्र-ॐ नट्ठमयठाणे पणहकमट्ठनहसंसारे । परमट्टनिहि ? अगुणाधीसरं वंदे (स्वाहा)।। अथवा-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं आँ लक्ष्मी स्वाहा । अनेन मंत्रेणाभिमंत्र्य वस्तुधान्यादिकं तोलयित्वा ग्रन्थौ बयते, रात्रौ शीर्षे मुच्यते, घटते चेदस्तु तदा महर्घ, वर्द्धते चेत्समघम् । अक्षयतृतीयाविचारः .. अक्षयायां तृतीयायां सन्ध्यायां सप्तधान्यम । पुंजीकृत्य स्थापनीयं पृथक् पृथक् तरोरधः ॥१०॥ यद्विस्तृत स्यात्तद्धान्यं तद्व बहु जायते । यत्पुंजरूपं वा तिष्ठेनैव निष्पद्यते पुनः ॥११॥ . वैदि प्रश्नकारक पांच अंगुली के स्पर्श में अँगूठेको स्पर्श करे तो महावर्षी हो, * सावित्री ( अनामिका ) को स्पर्श करे तो थोडी वर्षा हो ॥८॥ सूर्य से तीसरा पांचवां और सातवां स्थान में जलगशिके ग्राह"हो तो नय संत या पांच दिन के भीतर वर्षा बरसे ॥६॥ वस्तु या. धान्य आदि उपरोक्त मंत्र से मंत्रितकर तथा तोलकर गांठ बांधकर रात्रि मस्तक नीचे धो, पीछे दिन में फिर तोले जो दस्तु याः धान्य घट जाय वह महँगे हों और जो बढ़ जाय वह सस्ते हों ।। .. अक्षय तृतीया (वैशाख शुक तीज) को संध्याके समय सात प्रकार के. धान्य इकट्ठे करके वृक्ष के नीचे अलग अलग रखें ॥१०॥ यदि वे धान्य विखर जाय तो उस वर्ष में बहुत धान्य हो और इकट्ठे ही पड़े रहे तो. .. * " अनामिका सावित्री गौरी भगवती शिवा" ऐसा महा महोपाध्याय,श्री मेघविजयगणि कृत 'हस्तसंजीवन' नामक सामुद्रिक ग्रंथम कहा है. 1: ................ "Aho Shrutgyanam"

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