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सा गौ सुरूपा सुरक्षा श्रेष्ठा प्रोणदुधामता ॥१८॥ तस्या पुच्छे चमरे पडसत्रस्य लामकृत् । पणि व्यवसाय: स्याशपुच्छ कतितं शुभम् ॥१६॥ गोर्दम्भने प्रजादुःखं तयुद्धे राजविग्रहः। ... गोपेन ताध्यमानायां तस्यां रोगाद् मयं भुवि ॥२०॥ निःशृङ्गायांगचि छत्रभः पुच्छे च वक्रिते । समादेश्यं वर्षयकं खण्डवृष्टिः पयोमुवा ॥२१॥ गोप्रवेशसमये सितो वृषो याति.कृष्णपशुरेव वा पुरः। भूरि वारिसबलेनमध्यमं नासितेऽम्परिकल्पना परेः॥२२॥ नामाद्विस्तिस्त्रमृदादिकुम्भः, प्रदक्षिणांश्रावणापूर्वमासः । हुभा देखे, उस में जो गौ आगे हो ॥ १७ ॥ उस के चिह्न के अनुसार शुभाशुभ वर्ष का बोध करें--- वह गौ सुंदर, अच्छे सौंगवाली, अच्छा द्रोण भर दूध देनेवाली ॥१८॥ मोर पूँछ पर केशवाली हो तो व्यापारियों को व्यापार में रेशम, सन भादिके वस्त्रों से लाभ हो। और पूँछ के बाल काठा हुआ हो तो अशुभ होता है ॥१६॥ गौ द ग (भागसे जलने का चिह) वाली हो तो प्रजा को दुःख, उसका युद्ध से राऊवित्रह, ग्वाला मारता हुमा हो तो घृथिवी पर रोग का भय हो ॥२०॥ सींग विनाकी हो तो छत्रभंग, वक (टेढा) पूँछ्वाली हो तो वर्ष भी वक कहमा तथा मेघ खंड वर्षा करें ॥ २१ ॥ ... गौ प्रवेशके समय सफेद बैल या काला वर्णके बैल इन दोनों में से सफेद बैल (गौ) आगे हो तो बहुत वर्षा और कृष्ण बैल भागे हो तो मध्यम वर्षा हो ॥२२॥
जलसे पूर्ण ऐसे मृत्तिका (मिट्टी)के कलशों (धड़े) पर श्रावण आदि तीन महीनोंका नाम लिखकर प्रदक्षिणा करें, याने उक्त कलशोंको मस्तक पर लेकर जालाश्रय या देवमंदिरकी प्रदक्षिणा करें । इसमें जो कलश पूर्ण
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