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सूर्यचारकथनम्
(४०१) मीनेऽके सति फाल्गुने शनिवशात् सामुद्रिकार्थक्षयो, __ भौमे हेन्नि सलामता रणनटाः सूर्ये भटा निष्ठिताः। तैलाज्यादिरसा मद्यविवसाश्चन्द्रे जनानां सुखं,
शुक्रे चन्द्रसुते सुभिक्षमतुलं रोगप्रयोगो गुरौ ॥७॥ चैत्रे मेषरवी तथा क्षितिसुते मन्दे महर्घस्थिति
गोधूमे चणके तथैव शशिना कार्पासतैलादिषु । जीवः क्षत्रियजीवनाशनकरः शुक्रोऽथवा चन्द्रजः ,
सर्व वस्तुमहर्षमेव कुरुते वैवाहसोत्साहताम् ॥७६॥ लोके तु-चैत किसन जोइन भडली, चार दिसावारु निरमली। मीन अर्क सनिवारे होइ, तेरसि दिन तो जीवे कोई ।।७७॥ वैशाखे वृषसंक्रमे शनिकुजादित्यादिदुर्भिक्षदा,
देशे क्लेशरुचिमहर्घविधया प्राप्या न गोधूमकाः। दूना लाभ हो ॥ ७४ ॥ .. फाल्गुन मासमें मीनकी संक्रांति शनिवारको हो तो समुद्र से उत्पन्न होनेवाली या समुद्र में आने जानेवाली वस्तुओं में लाभ न हो। मंगलवार को हो तो सुवर्ण से लाभ हो । रविवार को हो तो योद्धाओं में वीरता हो और तेल घी आदि रस महँगे हो। सोमवारको हो तो मनुष्योंको सुख हो। शुक्र या बुधवार को हो तो बहुत सुभिक्ष हो और गुरुवारको हो तो रोग हो ॥७५॥ चैत्र मासमें मेषसंक्रांतिको मंगल या शनिवार हो तो गेहूँ चने का भाव तेज हो । सोमवारको हो तो कपास तेल आदि तेज हो । बृहस्पति हो तो क्षत्रिय और प्राणियों का नाशकारक है । शुक्र या बुधवार हो तो समस्त वस्तु महँगी हो और विवाह महोत्सव अधिक हो ॥ ७६ ॥ चैत्र कृष्णपक्षमें चारोंही दिशा निर्मल न हो और मीनसंक्रांति शनिवारको तेरस के दिन हो तो महामारी या दुष्काल हो ॥ ७७ ॥ वैशाखमें वृषसंक्रांतिको शनि मंगल या रविवार हो तो दुर्भिक्ष हों, देश में क्लेश हो, महँगाई के
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