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सुभिक्षं च तदैव स्याद वक्रत्वे सितसौम्ययोः । वक्रत्वे तु गुरोर्नूनं राशिप्रान्ते महर्घकम् ।।१५९।। कन्यायां बुधवक्रत्वे सुभिक्षं निश्चितं मतम् । वर्षाकालेऽप्यतिचारे मह भुवि जायते ॥ १६० ।। भौमायोरप्यतिबारे सुभिक्षं भवति स्फुटम् । सौम्पानामप्यतिचारे धिष्ण्यहानौ तु निष्कणम् ॥ १६१ ॥ राशिपरत्वे मंगलोदयफलम् -
मेषे भूमिसुतोदये च चपला माषास्तिलाः स्युः प्रिया, नाशः स्याच्च वृषे चतुष्पदले युग्मेऽन्नदुष्प्रापता । वैश्यानां बहुपीडनं शशिगृहे वृष्टयातिवान्योदयः, सिंहे शालिमहघेता द्विज़रुजः कन्योदये भूर्भुवः ॥ १६२ ॥ | धान्यानि भूयांसि तुलोदये स्युः, कन्याइये तेन सुभिक्षमेव ।
स्त धान्य बहुत सस्ते करें । एक क्रू ग्रह. चक्री हो और एक शुभ ग्रह शीघ्रगामी हो तो पृथ्वी में धान्य महँगे करें ॥१५८८। शुक्र और बुध के वकी होनेमें सुभिक्ष होता है और बृहस्पतिके वक्रीनें राशिके अंत्यभाग में निश्चय करके महँगे हो ॥ १५६ ॥ कन्याराशि बुक की हो तो निश्चयसे मुभिक्ष हो किंतु वर्षा ऋतु में अतिचारी हो तो पृथ्वी पर महँगे हो ॥ १६० 11 मंगल और शनि प्रतिचारी हो तो उत्तम सुभिक्ष होता है । बुधका शीघ्र 1. गमनमें नक्षत्रकी हानि हो तो धान्य प्राप्ति न हो ॥ १६९ ॥
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मंगलका उदयः मेषराशिमें हो तो चवला, उडद, तिल इनका आदर 4. घराशिमें हो तो पशुओं का नाश हो, मिथुनराशि में हो तो अन कठिनतासे मिले, कर्करराशिमें हो तो वैश्यों को पीडा तथा वर्षाद से धान्य प्राप्त हो । सिंहराशिमें चावल महँगे हो । कन्याराशिमें हो तो ब्राह्मण क्षत्रियों को रोग प्राप्ति ॥ १६२ ॥ तुलाराशि में हो तो धान्य बहुत हो,
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