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मेघमहादये देशकालपण्यनिर्णयः-- देशोऽथ मण्डलं स्थानमिति देशस्त्रियोच्यते। वर्ष मासो दिनं चेति त्रिधा कालोऽपि कथ्यते ॥६॥ धातुर्मूलं तथा जीव इति पण्यं त्रिधामतम् ।
अस्य त्रिकं त्रयस्थापि वक्ष्यामि स्वामिखेचरान ॥६॥ देशादीनां स्वामिज्ञानम् ----- .. देशेशा राहुमन्देज्या मण्डलस्वामिनः पुनः । केतुसूर्यसिताः स्थाननाथाश्चन्द्रारचन्द्रजाः ॥७॥ वर्षेशा राहुकेत्वार्किजीवा मासाधिपाः पुनः ।। भौमार्कज्ञसिता ज्ञेयाश्चन्द्रः स्यादिवसाधिपः ॥८॥ धात्वीशाः सौरिराहारा जीवेशाज्ञेन्दुसूरयः । . मूलेशाः केतुशुक्राळ इति पण्याधिपाः ग्रहाः ॥६६॥ पुंग्रहा राहुकेत्वार्कजीवभूमिसुता मताः । विचार करना चाहिये ॥६४॥ देश, मंडल और स्थान, इन भेदोंसे देश तीन प्रकारका है । तथा वर्ष, मास और दिन, इन भेर्दोसे काल भी तीन प्रकारका. कहा है ॥ ६५ ॥ धातु, मूल और जीव इन भेदों से पण्य भी तीन प्रकार का माना है । तीन प्रकारके देश, तीन प्रकारके काल और तीन प्रकारके पण्य इन तीन त्रिकोंके स्वामी ग्रहको कहता हूँ ॥६६॥
देश का स्वामी--- राहु, शनि और बृहस्पति हैं । मंडल का स्वा. मी-केतु सूर्य और शुक्र हैं । तथा स्थान का स्वामी-चंद्रमा, मंगल और बुध हैं।।। ६७ ॥ वर्ष के स्वामी-राहु, केतु, शनि और बृहस्पति हैं। महीने के स्वामी- मंगल सूर्य बुध और शुक्र हैं । तथा दिनका स्वामी चन्द्रमा है ॥ ६८ ॥ धातु के स्वामी- शनि, राहु और मंगल हैं । जीवके स्वामी बुध चन्द्रमा और बृहस्पति हैं ! तथा मूल के स्वामी- केतु शुक्र और सूर्य हैं । ये पण्य के स्वामी ग्रह हैं ।। ६६ ।।
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