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सर्वतोभद्रचक्रम्
स्वर्ण र तु चित्रायां मुद्गमाषप्रवालकम् । अश्वादिवाहनं मास-छयं पीडोत्तरा दिशि ॥४॥ स्वाती पूगीमरिचःसर्वपतैलादिराजिकाहिङ्गः ।
खर्जरादिकपीडा सप्तदिनान्युत्तरे देशे-॥४॥ विशाखापांयवाः शालिगोधूमा-मुद्राजिका। मसूरामकुष्टाश्च याम्या पीडाष्टमासिकी ॥४८॥ राधायां तुवरीसर्वविदलान्नं च तन्दुलाः । मकुष्टकडचणकाः प्रापीडा दिनसप्तकम् ॥४९॥ ज्येष्ठायां गुग्गुलं गुई लाक्षाकर्पूरपारदाः । हिहिङ्गलुकांस्यानि प्राकपीडा दिनसप्तकम् ।।५०॥ भूले श्वेतानि वस्तृनिःरसा धान्यानि सैन्धवम् । कसलवणाधं च मासिकं पश्चिमासुखम् ॥५१॥ पूषायामचनतुषधान्यघृतमूलजूर्गादिः । बेध्यं सशालिपश्चिमदिशि मासिकमशुभमन्यद्वा ॥५२॥ उत्तामें दो महीने पीडा ४५ चित्रा में सोना, रत्न, मूंग, उडद, मूंगा, घोडा, आदि वाहन और दो महीने उत्तर दिशा में पीडा ॥४६॥ स्वाति में सोपारी, मिर्च, सरसब, तेल, राई, हिंग खजूर आदि तथा उत्तर देश में सात दिन पीडा ॥ १७ ॥ विशाखामें यव, चावल, गेहूँ, मूंग, राई, मसुर, वनमूंग तथा दक्षिण दिशाम आठ महीने पीडा॥४८॥ अनुराधामें तुमरीमादि सब विदल अन्न, चावल, वनमूंग, कंगु, चने तथा पूर्वदिशाके देश में सात दिन पीड़ा रहे ॥ ४६॥ ज्येष्ठामें गुगल, गुड, लाख, कपूर, पारा, हिंग, हिंगलु और कांसी इन में वेध तथा पूर्व दिशा में सात दिन पीड रहें ॥५०॥ मूल में सफेद वस्तु, रस, धान्य, संधव, कपास, लवणादि में वेध और पश्चिममें एक मास दुःख ॥५१॥ पूर्वाषाढा में अंजन तुघ धान्य घी कंदमूल, जूर्ग (चावल) मादिको वेधते है तथा पश्चिम दिशामें एक
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