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बुधचारफलम्
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सुभिक्षमनुराधायां पक्षिपीडा प्रजासुखमं । ज्येष्ठायामिक्षुशाल्याज्य - महताऽश्वरोगिता ॥ १८९ ॥ मूले पक्षिद्विजपशु-पालपीडा विजायते । धान्यं मन्दं च पूषायां व्याधिग्रष्मेऽपि वर्षणम् ॥१८२॥ उषायां सम्यनिष्पत्तिर ष्टवर्षशिशुक्षयम् ।
श्रुतौ गुडातसीधान्यचणकेषु हिमाद् भयम् ॥१८३॥ वासवे तु गवां पीडा वारुणे शुद्ररोगता । दुर्भिक्षमथ प्रभायां क्षेममारोग्ययोग्यता ॥ १८४॥ उभायां नृपतिक्लेश आरोग्यं पशुपक्षिणाम् । रेवत्यां नन्दनं चन्द्रो मह कुंकुमाद्यपि ॥ १८५ ॥ बुधोदयराशिफलम् --
मेषे बुधस्योदयतो गवादिश्चतुष्पदानां महतीह पीडा ।
विशाखा में हो तो सुभिक्ष हो कहीं किंचित् व्याधि भय और दुर्भिक्ष हो ॥ १८० ॥ अनुराधा में हो तो सुनिक्ष, पक्षियों को पीडा और प्रजा सुखी हो । ज्येष्टा में हो तो ईग्न चावल वी महँगे हो और घोड़े को रोग हो १८१ ॥ मूलमें हो तो पशु पक्षी ब्राह्मण तथा बालक इन को पीडा हो । पूर्वाषाढा में हो तो धान्य मंदा, व्याधि और ग्रीष्मकाल में भी वर्षा हो ॥' ॥१८२॥ उत्तराषाढामें हो तो धान्यकी प्राप्ति तथा आठ वर्ष के बालकों का नाश हो | श्रवण में हो तो गुड, अलसी धान्य और चणा इनको हिमसे भय हो ॥ १८३ ॥ धनिष्ठा में हो तो गौओंको पीडा । इतभिषा में हो तो शूद्रोंको पीडा | पुर्वाभाद्रपदा में हो तो दुर्भिक्ष, क्षेत्र तथा आरोग्यता हो ॥ १८४ ॥ उत्तराभाद्रपदा में हो तो राजाको हेश तथा पशु पक्षीयों को आरोग्यता हो । रेवती में बुध हो तो कुंकुम आदि महँगे हो ॥ १८५ ॥
- बुबका उदय मेषराशि में हो तो गौ आदि पशुओं को बहुत पीडा मौर टिड्डी आदिले धान्य महँगे हो। दूषरा। शिमें हो तो अतिवृष्टि । मिथुन में हो
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"Aho Shrutgyanam"