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मेघमहोदये
ज्येष्ठाचतुष्टये हेमद्वारं मिश्रफलं स्मृतम् ॥२२१॥ श्रुत्यादिसप्तके वाच्यं ऋजुद्रारं भृगृदये। दुर्भिक्षं लोकमारककारणं सुखवारणम् ॥२२२॥ इति सुभिक्षदुर्मिक्षविग्रहदेशभंगज्ञानाय शुक्रवारविचारः। शुक्रोदयमासफलम्--- शुक्रोदयात् फाल्गुनमासिवृद्धि-रर्थस्य धान्यादिषु भैक्षवृत्तिः । चैत्रे विभूति विमाधवे. च, रगो महान् वृष्टिरतीव शुक्र।२२३॥
आषाढमासे जलदुर्लभत्वं, चतुष्पदातिर्नभसि प्रदिष्टा । समृद्विरन्नस्य तु भाद्रमासे, तथाश्विने सम्पद एव सर्वाः ।। शुभं परं कार्तिकमार्गमाहो:, पौषे महच्छन्नविभङ्ग एव । मावेऽपि तद्वत्सकलं फलं स्थान चेत्परादे जलदस्य रोधः।। भादव? जो ऊगमण, सुकह सुबह वार । .
तो तूं हरखज आणजे अन्न घणा संसार ॥२२६।। नक्षत्रों पर शुक्र का उदय हो तो धर्मद्वार, यह शुभ है। ज्येष्ठा आदि चार नक्षत्रों पर शुक्रका उदय हो तो हेमद्वार, यह मिश्रफलदायक है।। २२१ ॥ श्रवण आदि सात नक्षत्र पर शुक का उदय हो तो ऋजुद्वार . कहना, यह दुर्भिक्ष, लोकमें रोग और दुःस्वका कारक है ॥२२.२॥ '. शुक्रका उदय फाल्गुन मासमें हो तोधनकी वृद्धि और धान्यमें भिक्षा
त्ति रहे अर्थात् धान्य महँगे हो। चैत्र और वैशाख मही में हो तो पृथ्वी में संपत्ति हो बड़ा युद्ध और बहुत वर्षा हो ॥२२३॥ आपाढ मासमें हो तो जलकी दुर्लभता, श्रावगमें हो तो पशुओं को पीडा, भाद्रपदभे हो तो अन्न की समृद्धि (वृद्धि), आश्विन में सब प्रकार की संपत्ति हो ॥२२४॥ कार्तिक और मार्गशीर्ष में हो तो शुभ, पौध महान् छत्रभंग , मावमें शुक्र का उदय हो तो पौषके सदृश फल जानना, यदि पीछला वर्षमें वर्षाका रोध नं हो तो ॥२२५॥ भाद्रपद महीनेमें शुक्रवार के दिन शुकका उदय हो तो
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