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मेघमहादये लोकः सुखी.गवां दुग्धं गहुधान्यसमुद्भवः ॥६॥ मङ्गले सबैलोकस्य कष्ट धान्यमहता। सूर्यस्य ग्रहां पुत्रविक्रयोऽनरुपद्रवः ॥१०॥ बुधे सर्वजनोगः पशुपीडाल्पनीरदः । राज्ञां विरोधोऽल्पफलं सर्वधान्यमहर्यता ॥११॥ गुरौ कर्षणनिष्पत्तिश्चतुष्पदमहासुखम् । व्यापारी निर्भया मार्गाः पातिसाहिरिनमः ॥१२॥ शुक्रे चन्द्रोदये खण्डवर्षा धान्यमहवैता। रोगो भयं जने दुःखं स्वल्पं वन्यप शुक्षयः ॥१३॥ शनौ धान्यमहर्घत्वं दक्षिणस्यां महारणः । स्वल्पमेवेन दुर्भिक्षं फाल्गुनस्य विदयात् ॥१४॥ शुक्लपक्षे दितीयाघां भानोर्वामोदयः शशी। तस्मिन मासे शुभं सर्व दुर्भिक्षं दक्षिगोदये ॥१५॥ अधिक उत्पन्न हों || ह ॥ मंलवारको उदय हो तो सब लोकको काट, धान्यं महेंगे, सूर्यका प्रहग, पुत्रका विक्रय और अग्निका उपद्रव हो ॥१०॥ बुधबार ही तो सब लोगों में व्याकुलता, पशुओं को पीडा, वर्षा थोड़ी, राजाओं में विरोध, फल थोड़े और सब प्रकार के धान्य महँगे हों ॥११॥ गुरुवार को उदय हो तो खेती अच्छी, पशुओं को बड़ा सुख, व्यापार अधिक, मार्ग निर्भय, पादशाह का पर्यटन हो ॥१२॥ शुक्रवार को उदय हो तो खंड वर्षा, धान्य महँगे, रोग भय, मनुष्योंमें थोडा दुःख और वनवासी पशुओं का नाश हो ॥१३॥ शनिवारको उदय हो तो धान्य महँगे, दक्षिण में बड़ा युद्ध, वर्षा थोड़ी और दुर्भिक्ष हो ऐसा फाल्गुन मासमें चंद्रोद का फल कहा ॥१४॥ शुक्लपक्ष द्वितीयाके दिन चंद्रमा सूर्यसे चामोदय (बायें सरफ उदय) हो तो उस महीने में सब शुभ हो और दक्षिणोदय हों ले समिक्ष हो॥१५॥ भाषाढ कृष्णपक्ष चंद्र के साथ रोहिणी को देखकर
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