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चन्द्रचारफलम्
(४३१)
अनावृष्टिः कर्कराशौ सिंहे धान्यमहर्घता ॥८७॥ चतुष्पदविनाशोऽपि राज्ञामन्योऽन्यविग्रहः । द्विजादिपीडा कन्यायां तुलायाणकं प्रियम् ॥८॥ वृश्चिके धान्यनिष्पत्तिधनुर्मकरयोः शुभम् । कुम्भे चणकमाषादि-तिलानां नाश इष्यते ॥८९।। मीने सुभिक्षमारोग्यं फलं द्वादशराशिजम् । एवं ज्ञेय द्वितीयायां नियमेऽप्यत्र भावनात ॥६॥ इति । चन्द्रास्तफलम् - चन्द्रास्ते मेषराशिस्थे सर्वधान्यमहर्घता । वृषे च गणिकापीडा मृत्युश्चौरभयं जने ॥११॥ मिथुनेऽप्यतिवृष्टिः स्याद् बीजवापेन पुष्टये । कर्कटेऽप्यतिवृष्टिः स्यात् सिंहे धान्यमहर्षता ॥२॥ में हो तो कपास, सूत, रूई अदि महँगे हो । कर्कराशि में हो तो अनावृष्टि । सिंहराशि में हो तो धान्य महँगे हों ||८७॥ तथा पशुओंका विनाश और राजाओं में परस्पर विग्रह हो । कन्या राशि में हो तो ब्राह्मण आदिको पीडा । तुलाराशि में हो तो कयाणक (व्यापार ) प्रिय हो ||८८|| वृश्चिकराशि में हो तो धान्य की उत्पत्ति हो । धनु और मकरराशि में हो तो शुभ होता है । कुंभराशि मे हो तो चणा, उडद, तिल इनका विनाश हो ||. ८६॥ मीनराशि में हो तो सुभिक्ष और आरोग्यता हो । यह बारह राशियोंके फल शुक्ल द्वितीया के दिन याने शुक्ल पक्ष में नवीन चन्द्रोदय के दिन विचार करें ऐसा नियम है ॥६० ॥ इति चन्द्रोदय ॥ - चंद्रमाका अस्त मेषराशि पर हो तो सब प्रकार के धान्य महँगे हो । वृषराशिमें हो तो वेश्याको पोडा, मनुष्यों का अधिक मरण और चोर का भय हो ॥११॥ मिथुनराशिमें हो तो वर्षा बहुत हो, बीज बोनेसे अधिक मुष्ट हो । कर्कराशि में हो तो वर्षा बहुत हो । सिंहराशि में हो तो धान्य
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