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मेघमहोदये विद्यापुंस्त्वमोढेरदेशा नश्यन्ति तादृशाः॥३२॥ ज्येष्ठा मूलं पूर्वाषाढा पुच्छमूले च संस्थिताः । पर्वता अवुदं कच्छ-मवन्तीपूर्वमालकः ॥३३॥ पारसीयबरौदीपौ सौराष्ट्र सैन्धवं तथा। जलस्थानानि नश्यन्ति स्त्रीराज्यं पुच्छपीडने ॥३४॥ उत्तरादित्रिनक्षत्रं पादे वायव्यगोचरे। गुर्जरत्रामहीदेशो मरुदेशो विनश्यति ॥३५॥ जालन्धरस्तथाऽऽभीरो दिल्लीदेशोदधिस्थलम् । मेरुशृङ्गं विनश्यन्ति ये चान्ये कोणसंस्थिताः ॥३६॥ वारुणादित्रिनक्षत्र-मुत्तराकुक्षिसंस्थितम् । नेपालकीरकाश्मीर-गर्जनीखुरासाणकम् ॥३॥ मथुरा म्लेच्छदेशश्च खरकेदारमण्डले । हिमालयश्च नश्यन्ति देशा ये चोत्तराश्रिताः ॥३८॥ रेवती चाश्चिनीयाम्यं पादे ईशानगोचरे । नैऋत्य दिशाके देश हैं ॥ ३२ ॥ ज्येष्ठा मूल और पूर्वाषाढा ये तीन नक्षत्र कूर्मके पुच्छ पर लिखना. अर्बुद, कच्छ, अवन्ती, पूर्वमालवदेश ॥ ३३ ॥ .. पारसी (इरान देश) बर्बरद्वीप, सौराष्ट्र, सिंध, जलस्थान और स्त्रीराज्य ये : पंश्चिम देश हैं, पुच्छ पीडनसे उनका नाश होता हैं ॥ ३४ ॥ उत्तराषाढा
श्रवणं और धनिष्टा ये तीन नक्षत्र वायत्र्य पैर पर लिखना । गुजरात, - महीदेश, मरुदेश, जालंधर, भीर, देहली, उदधिस्थल और मेरुश्रंग ये वा
यम्य कोणके देश हैं उनका विनाश हों ॥३६॥ शतभिषा, पूर्वभाद्रपदा और : उत्तराभाद्रपदा ये तीन नक्षत्र कूर्मकी उत्तर कुक्षि (बगल)में लिखना । नेपाल कीर, काश्मीर, गर्जनी, खुरासाण ॥३७॥ मथुरा, म्लेच्छदेश, खर, केदारनाथ, हिमा. लय ये उत्तर प्रदेश हैं उनका नाश हों ॥३८॥ रेवती अश्विनी और भरणी • ये तीन नक्षत्र कूर्मके ईशान पैर पर लिखना । गंगाद्वारा, कुरुक्षेत्र, श्रीकंठ,
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