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वर्षराजादिक्रफलम्
(२७७)
क्वचिद् घृष्टि क्वचित् क्षेमं सस्यनाशः प्रजायते ॥४॥ रसेशफलम्
चन्दमकुंकुमगुग्गुल-तिलतैलैरण्डतैलमुख्यानि । प्रचुराणि रसान्यतुलं रसनाथे भास्करे सततं ॥६५॥ रसानीत्यत्र लिङ्गव्यत्यय आर्ष:---- इक्षुविकारं त्वखिलं क्षीरविकारं च सर्वतैलानि। गन्धयुतानिच सर्वा-ण्यतिसुलभानि च रसाधिपे चन्द्रे।९६। भुवि रसनिचयचन्दन-कुसुमविशेषाश्च चन्दनाचं च । दुर्लभमवनीसूनौ रसाधिपे मधुरवस्तृनि ॥१७॥ शशितनये रसनाथे विषाग्नी झूठी च हिंगुलशूनानि । घृततेलाचं निखिलं दुर्लभमिक्षूद्भवं सर्वम् ।।९८॥ रसनाथे दिविजगुरौ चन्दनकपूरकन्दमूलानि । सुलभानि रसान्यतुलान्यतुलं सीदन्ति कुंकुमाद्यानि ॥९॥ सुगन्धवस्तूनि सिते रसेशे, निर्गन्धवस्तूनि रसादिकानि । ॥६॥ शनि मेघाधिपति हो तो अधिक वायु चले, कचित् वर्षा, कचित कल्याण और धान्धका नाश हो ॥ ६४ ॥
जिस वर्षमें रसाधिपति सूर्य हो उस वर्षमें चंदन, कुंकुम, गूगल, तिल, तैल, रेडी का तेल अादिकी बहुत वृद्धि हो १६५।। चंद्रमा रसाधिपति हो तो इक्षुरस और दूध इन से बनी हुई सब चीज, सब प्रकार के तैल और सुगंधी वस्तु ये सब सस्ते हों ॥६६॥ मंगल रसाधिपति हो तो सब प्रकार के रस, चंदन कुसुम और मधुर वस्तु ये सब दुर्लभ हों ।। ६७ ॥ बुध रसाधिपति हो तो विष चित्रक सोंठ हिंग,लशून घी तैल और इतुरस से बनी हुई सब वस्तु दुर्लभ हों ।।६८॥ बृहस्पति रसाधिपति हो तो चंदन कपूर कंदमूल और सब प्रकारके रस सस्ते हों, तथा कुंकुम आदिका नाश हो|EET शुक रसाधिपति हो तो सुगंधित वस्तु, तथा गंधरहित वस्तु, दूध आदि सब
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