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वर्षराजादिकफलम् पञ्चमी सप्तमी शुक्ला चैत्रे तथा त्रयोदशी। एतासु वादलं श्रेष्ठं तत्र वर्षा तु दु:खकृत् ॥१८॥ चैत्रे शुके यदार्दादिस्वात्यन्तेषु साम्रता। जलप्रवाहवृष्टि! तदा संवत्सरः शुभः ॥१८२॥ एकादश्यां रवौ बारे चैत्रे शुक्लेऽपि दुर्दिनम् । तदा युगन्धरी ग्राह्या लाभो मासचतुष्टये ॥१८३॥ चैत्रमासे तिथिः कृष्ण चतुर्दशी तथाष्टमी । तत्राभ्रमुत्तरो वायुः शुभाय जगतो मवेत् ॥१८॥ चैत्रस्य शुक्लपक्षे तु त्रयोदश्यां रजोऽनिलः । अथवा धूमीपातो मेघस्तत्र न वर्षति ॥१८॥ चैत्रे दशम्यां शनिना मघायोगे यदाम्बुदः । घर्षेत्तदा सर्ववर्षे धान्यस्या? न जायते।१८।इति चैत्रः ॥ . वैशाखमासफलम्-- वैशाख कृष्णप्रतिप-धुगच्छव भास्करः। शुक्ल पंचमी सप्तमी और त्रयोदशी के दिन बादल, हो तो अच्छा (श्रेष्ठ) है परंतु वर्षा हो, तो दुःखकारक हो ॥१८१॥ यदि चैत्र शुक्लपक्ष आ आदि नक्षत्र से स्वाति नक्षत्र तक में बादल सहित हो किंतु जलप्रवाह रूप वर्षा न हो तो वर्ष शुभ होता है. ॥१८२॥ चैत्र शुक्ल एकादशी रविवारको दुर्दिन रहे तो युगंधरी (जुवार) का संग्रह करना इससे चार मास में लाभ होता है ॥१६३॥ चैत्र मासके कृष्णपक्षमें चतुर्दशी तथा अष्टमीके दिन बादल हो और, उत्तरका वायु चले तो जगतको शुभके लिये होता है ॥१८४॥ चैत्र शुक्ल त्रयोदशीके दिन रजःयुत वायु चले या धूमरीपात हो तो मेध न नरसे ॥१८५ चैत्र शुक्ल दशमी शनिवार मचानक्षत्र सहित हो और उस दिन वर्धा भी बरसे तो समस्त वर्ष में. धान्यकी मूल्य प्राप्ति न हो ॥ १८६ ॥
वैशाख कृष्ण प्रतिपदाके दिन आकाश में प्रातः काल सूर्य मेध से आ
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