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मेवमहोप ईतयः सप्तधा भौमे तीडोन्टरपराभवः ॥५॥ बुधे च मध्यम वर्षे सुभिक्ष तुगुरौ भृगौ। शनी धान्यरसाण जलशोषः प्रजातयः ॥३॥ चैत्र शुक्लवितीयायां पार्जरः प्रतिपदिने। युगन्धरी.तृतीयायां तिला यान्ति महर्षता IGH चतुर्योचवला एवं पाण्याम्मतिौरवम् । सम्प्राप्तायां च रोहिण्यां फलमेत बुधोदितम् । दैवाद् रविः कुजो मन्दो वारस्तत्राधिकं फलम् । शुभवारे च गुर्वादौ शुभेयोगे फलाल्पता ॥९॥ श्रीहीरमृरयस्तुचित्तसियपडिययाए सुकससीमुरगुरु मजहबारो। तो धणधनसमग्छ होइ संघच्छरं जाव ॥१०॥ थीयदिणे रविवारे रेवई णकखस्स होइ संजुसी। तो घणयसमग्छ होइ चउमासियं जाय ॥११॥ की ईति-टीड्डी चूहें भादिका उपद्रव हो ||५|| बुधवार हो सो मध्यम का हो । गुरुवार या शुक्रवार हो सो मुभिक्ष हो । शनिवार हो सो धान्य रसे तृण और जलका अभाव हो तथा प्रजा दुःखी हो ॥ ६ ॥ यदि बैक द्वितीया को रोहिणीनक्षत्र हो तो बाजरी, प्रतिपदाको होतो जूभार, तृतीया को हो तो तिल और चतुर्थीको हो तो चवला ये महँगे हों तथा पंचमीके दिन हो तो बड़ा रौप्य हो ऐसा फल विद्वानोंने कहा है। परंतु दैवयोगसे उस दिन रवि या मंगल या शनिवार आ जाय तो अधिक मद्युभ फल कहा हैं । और गुस्वार आदि शुभवार या शुभ योग भाजाय सो उक्त फल की अल्पता होती हैं ॥७से ६॥ श्रीही सूरिजी ने कहा है कि- चैत्र शुल पडवाके दिन शुक सोम या बृहस्पात वार हो तो सम्पूर्ण संवत्सा में धन धान्य सस्ते हों ॥१०॥ चैत्र शुक्ल द्वितीयाके दिन रविवार रेवतीनक्षत्रके
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