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सूर्यधारकथनम्
संक्रान्तिसंज्ञावारफलम्--- घोरार्कवारे ऋरः ध्वांक्षीन्दौ क्षिप्रसंज्ञकैः । महोदरी चरैभौंमे मैत्रे मन्दाकिनी बुधे !॥२॥ धिष्ण्यधुवैर्गुरौ मन्दा भृगौ मिश्रा तु मिश्रभैः। राक्षसी दारुणैर्मन्दे संक्रान्तिः क्रमतोरवेः ॥३॥ शूद्रान् वैश्यांस्तथा चौरान भूपान् द्विजान् पशूनपि । म्लेच्छानानन्दयन्त्येते घोराद्या रविसंक्रमाः ॥४॥ रचौ रसस्य धान्यस्य पीडा सोमे सुभिक्षता। कुजे गोधनकष्टं स्याद बुधे रसमहर्षता ॥५॥ गुरौ सर्वशुभं शुक्रे गजादिवाहनक्षयः । शनौ सर्वरसाल्पत्वं संक्रान्तौ वारजं फलम् ॥६॥ चन्द्रमण्डले संक्रान्तिफलम्--- कहता हूँ ॥ १ ॥
क्रूरसंज्ञक नक्षत्र और रविवार को सूर्य संक्रांति हो तो घोरा नामकी संक्रांति कही जाती है । वैसें क्षिप्रसंज्ञक नक्षत्र और सोमवारको संक्रांति हो तो ध्वांक्षी । चरसंज्ञक नक्षत्र और मंगलवार को महोदरी नामकी संक्रांति। मैत्रसंज्ञक नक्षत्र और बुधवारको मन्दाकिनी नामकी संक्रांति होती है ॥२॥ ध्रुवसंज्ञकनक्षत्र और गुरुवारको भन्दा नामकी, मिश्रसंज्ञकनक्षत्र और शुक्रवार को मिश्रा, दारुणसंज्ञक नक्षत्र और शनिवार को राक्षसी नामक संक्रांति होती है ॥३॥ उपरोक्त घोरा आदि सूर्य संक्रांति अनुक्रमसे-- शूद्र, वैश्य, चोर, राजा, ब्राह्मण, पशु और म्लेच्छ इनको मुखदायक होती हैं ॥४॥ सूर्यसंक्रांति रविवारको हो तो रस और धान्य का कष्ट, सोमवारको हो तो सुभिक्ष, मंगलवारको हो तो गौ आदिको कष्ट, बुधवारको हो तो रस महंगे हो ॥५॥ गुरुवार को हो तो समस्त शुभ, शुक्रवार को हो तो हाथी आदि वाहनों का नाश और शनिवार को हो तो समस्त रसकी अल्पता हो॥६॥
"Aho Shrutgyanam"