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तिथिफलकवनम्
बिमणा तिगुणा चउगुणा, कणे कवड्डा होय ॥२०॥ कार्तिके सप्तमी शुक्ला शनौ धान्याघनाशिनी । श्वेतवस्तुमहर्ष स्यात् त्रिमासि द्विगुणं फलम् ॥२०१॥ कार्तिके रविणा रौद्र-योगे राज्ञां महारणः । रोहिण्यां कार्तिके सूर्यः पुरो वारिदवारणः ॥२०२॥ कार्तिके पञ्चमी रौद्र-योगे स्यात् तृणसङ्ग्रहः । चतुष्पदेऽन्यथा दुःखं जायतेऽग्रेऽल्पवृष्टिजम् ॥२०३॥ कार्तिके मङ्गले मूलं मङ्गलेऽननुकूलकम् । सप्तमी शनिना कृष्णा करोत्यन्नमहर्घताम् ॥२०४॥ कार्तिके दशमी कृष्णा शनौ रोगकरी जने । • रविः कृष्णत्रयोदश्यां यवगोधूममूल्यकृत् ॥२०५॥ कार्तिके कृष्णदशमी शनौ मघासमन्विता । महर्घ घृतपूगादि चातुर्मासान्तविक्रयः ॥२०॥ कार्तिके चेदमावस्यां शनिश्वाशननाशनः । ॥२००॥ कार्तिक शुक्ल सप्तमीको शनिवार हो तो धान्य का विनाश और श्वेत वस्तु महँगी हो इससे तीन मासमें द्विगुना लाभ हो ॥२०१॥ कार्तिक में रविवार और आर्द्रा का योग हो तो राजाओंका युद्ध हो । तथा रविवार और रोहिणी का योग तो हो आगे वर्षाका रोध हो ॥२०२॥ कार्तिक पंचमी को आर्द्रा हो तो तृणका संग्रह करना उचित है, नहीं तो पशुओं को दुःख होगा क्योंकि आगे बहुत थोड़ी वर्षा होगी ॥२०३॥ कार्तिकमें मंगलवार को मूल नक्षत्र हो तो मांगलिक कार्यमें अनुकूल नहीं होता । कृष्ण सप्तमी शनिवारको हो तो अन्न महँगे हो ॥२०४॥ कार्तिक कृष्ण दशमी शनिवार को हो तो रोग करें। और कृष्ण त्रयोदशी रविवार को हो तो यव और गेहूँ तेज हो । २०५ ॥ कार्तिक कृष्ण दशमी शनिवार और मघा नक्षत्र युक्त हो तो घी और सोपारी महँगे हो चौथे महीने बेचें ॥२०६॥ कार्तिक
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