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अषराजाविवफलम
(६९३) सङ्गहः सर्वधान्यानां लाभो भाद्रपदे भवेत् ॥१९३॥ राधे शुक्ल प्रतिपदि सप्तम्यादिदिनत्रये ।। वार्दलानां समुदये शोधं वृष्टिं विनिर्दिशेत् ॥१९४॥ एकादशीत्रये शुक्ले दुर्मिक्षं वृष्टिर्वादलात् । राधे च पूर्णिमावृष्टि-आंद्रे धान्यमहर्घकृत् ॥१९५॥ पञ्चम्यामथ सप्तम्यां नक्ष्म्येकादशीदिने । त्रयोदश्यां च वैशाखे वृष्टौ लोके शुभं भवेत् ॥१६६॥इति॥ ज्येष्ठमासफलम् -
अष्टम्यां च चतुर्दश्यां ज्येष्ठे शुक्ले तथाऽसिते। कृष्णे दशम्यां वृष्टिः स्याद् भाद्रमासेऽतिवृष्टये ॥१९॥ ज्येष्ठस्य दशमोरात्रो यदि चन्द्रो न दृश्यते । जलरोधाय तर्षे निछत्रापि मही भवेत् ॥१९८॥ ज्येष्ठस्य कृष्णैकादश्यां द्वादश्यां वाऽगर्जितम् । तो सत्र धान्य का संग्रह करना भाद्रपद मासमें लाभदायक है ॥ १६३ ॥ वैशाख शुक्ल प्रतिपदा और सप्तमी आदि तीन दिनों में वादलों का उदय हो तो शीघ्र वर्षा होती है ॥१६४॥ शुक्लपक्ष की एकादशी आदि तीन दिनों में दृष्टि या वादल हो तो दुर्भिक्षकारक है और पूर्णिमा के दिन वर्षा हो तो भाद्रपद मासमें धान्य महँगे हों ॥१६॥ वैशाख मासकी पंचमी, सप्तमी, नवमी. एकादशी और त्रयोदशी इन दिनोंमें वर्षा हो तो लोकमें शुभदायक है ॥१६६॥ इति वैशाखमासफलम् । ___ज्येष्ठ मासकी शुक्ल और कृष्ण दोनों पक्ष की अष्टमी और चतुर्दशी तथा कृष्णपक्षको दशमी इन दिनोंमें वर्षा हो तो भाद्रमासमें वर्षा अधिक हो ॥१६७॥ ज्येष्ठ मासकी दशमीको रात्री में चंद्रमा न दीखे तो उस वर्ष में वर्षाका रोष हो और छत्रहीन पृथ्वी हो ॥ १६८॥ ज्येष्ठ कृष्णपक्ष की कादशी और द्वादशीके दिन मेघ गर्जना हो, बिटी चारे और हो
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