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वर्षराजादिवफलम्
(२७६) दरणमागधदेशे मध्यमसस्यार्घवृष्टिः स्यात् ॥१०६॥ दैत्येज्ये सस्यपतो यहुविधफलपुष्पसस्यसम्पूर्णम् । अमरविडम्बितजनतासम्पूर्ण भाति भूमितलम् ॥१.०७॥ मध्यमसस्यं क्षितितल-मीनतनये सस्थपे न राजभयम् । कोद्रबकुलत्थचणकै-र्मुिद्रश्च विपुलतरम् ॥१०९।।: नीरसाधिपतिफलम् ----- नीरसाधिपती सूर्ये ताम्रचन्दनयोरपि । ..... रनमाणिक्यमुक्तादे-रर्थवृद्धिः प्रजायते ॥१०९॥ शुक्लवर्णादिवस्तूनां मुक्तारजतवाससाम् । . . . प्रजायते पर्थवृद्धिः शशांके नीरसाधिपे ॥११०॥ नीरसेशो यदा भौमः प्रवालरक्तवाससाम् । . . . रक्तचन्दनताम्राणा-मर्घवृद्धिर्दिने दिने ॥११॥ चित्रवस्त्रादिकं चैव शङ्खचन्दनपूर्वकम् । . अर्घवृद्धिः प्रजायेत नीरसेशो बुधो यदि ॥११२।। हरिद्रापीतवस्तूनि पीतवस्त्रादिकं च यत् । मगधदेश में धान्य और वर्षा मध्यम हो ॥१०६ ॥ शुक्र धान्येश हो तो बहुत प्रकार के फल पुष्प तथा धान्य से पूर्ण शोभायमान भूमितल हो ॥ १०७ ॥ शनैश्वर धान्याधिपति हो तो भूमितल में मध्यम धान्य हो, राज भय न हो, कोद्रव, कुलथी, चणा, उर्द और मूंग ये अधिक हों ॥१०८॥
जिस वर्षमें नीरसाधिपति सूर्य हो उस वर्षमें तांबा, चंदन, रज, माशिवय, मोती आदि की मूल्यवृद्धि हो ॥१०६ ॥ चन्द्रमा नीरसाधिपति हो तो सफेदवर्ण की वस्तु, मोती चांदी और वस्त्र इनकी मूल्यवृद्धि हो । ११० ॥ मंगल नीरसेश हो तो मूंगा, लालवस्त्र, रक्तचंदन और तांबा इन की दिन दिन वृद्धि हो ॥१११॥ बुध नीरसपति हो तो चित्र विचित्र वस्त्र तथा शंख और चंदन-आदि की वृद्धि हो. ॥११.२॥ बृहस्पति नीरसाधिपति
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