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... मेरमहोदये . ....... अत्रायमर्थ:- कर्कसंक्रान्ती रविवारे दश-विंशोपका वर्ष, चन्द्रे विंशतिः, मलेऽष्टौं, बुधे द्वादश, द्रौ-गुरुशुक्रवारी त. योरष्टादश, शनी शून्यम, या देशविशेषेऽन्यस्मिन् शुभ. योगे वानयो विंशोपकाः। ................. कचित्-गुरौ षोडश शुक्रे स्यु-रष्टादशविंशोपकाः । दीपोत्सवे वारवशात् केचिदाहुर्दिशोपकान् ॥५॥ दिशो नखाश्च विश्वाख्या सप्त रुद्रो नवाम्बरम् । वर्षविंशोपकानेवं जानीयात् कर्कसंक्रमे ॥६॥ अन्यत्र-कार्तिके शुक्लपक्षे च पञ्चम्यां बारवीक्षणात् । वर्ष वर्षा च धान्यार्थ त्रीण्येतानि विचारयेत् ॥७॥ रवौ चन्द्रे कुजे सौम्ये गुरौ शुक्रे शनैश्चरे। .. दिगविंशतीभावनुप-कलाष्टादश विश्वकाः ॥८॥ लौकिकास्तु-मङ्गल आठ वुधे वलि वारह ,
सोम शुक्र गुरु करे अठारह। काकडि सङ्कमि रवि शनि बेठो, वार को अठारह विश्वा हैं । कोई दीवाली के दिन जो वार हो उससे विश्वा गिनते हैं ॥ ५॥ कर्कसंकान्ति के दिन रविवारादि का अनुक्रमसे दश वीस तेरह सात ग्यारह नब और शून्य विश्वा हैं ॥ ६ ॥ अन्यत्र कहा है कि--- कात्तिक शुक्ल पंचमी के वारसे भी विश्वा गिनना । वर्ष वर्षा और धान्य के लिये कर्कसंक्रान्ति, दीवाली और कार्तिक शुक्ल पंचमी इन तीनों ही दिनों का विचार करना चाहिये ॥ ७॥ उन दिनों में रविवार हो तो दश, सोमवार हो तो वीस, मंगलवार हो तो आट, वुधवार हो तो सात, गुरुवार हो तो सोलह, शुकवार हो तो सोलह और शनिवार हो तो अठारह विश्वा कहे हैं ॥5॥ लौकिक भाषा में-कर्कसंक्रांति के दिन मंगलवार हो तो पाठ, बुध. बार हो तो बारह, सोम शुक्र तथा गुरुवार को अठारह, शनि तथा रविवार
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