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शनैश्चरचारफलम् .. नाशः प्रकाशनमधार्मिकशासनस्य ॥१२॥ कन्याशनेरुदयतः किल धान्यनाशः , . पृथ्वीशसन्धिरतुलस्तुलया न वर्षा । गोधूमवर्जितमही तदसौ फलं स्या: दस्वस्थता धनुषि मानुषजातिरोगम् ॥१३॥ स्त्रीणा शिशोश्च विपदोऽखिल धान्यनाशः , - सौरेदंगेऽभ्युदयने नृपयुद्धबुद्धिः । नाशश्चतुष्पदकुले कलशेऽथ मीने, .. दीने जने ननु शनेरुदयान्न धान्यम् ॥१४॥ अथ शनेरस्तविचार:---- मेषेऽस्तं गमने शनेर्भुवि जने धान्यं महर्घ वृषे,
सर्वत्रापि गवादिपीडनमहो पण्यांगना मैथुळे । दुःखार्ता पथि कर्कटे रिपुभयं कार्पासधान्यादिषु, का उदय हो तो वर्षाका अभाव , रसों में शुष्कता, सब जगह महामारी का भय, मनुष्यों में अतिपीडा और कहीं टीडीका आगमन हो। सिंहराशिमै शनि का उदय हो तो बालकोंका नाश और राजाका अधर्मशासन प्रगट हो॥१२॥ कन्याराशिमें शनिका उदय हो तो धान्यका नाश और पृथ्वीमें संधि हो! तुला और वृश्चिकराशिमें शनिका उदय हो तो वर्षा न वरसे, गेहूँ आदिसे रहित पृथ्वी हो । धनराशि में शनि का उदय हो तो अस्वस्थता, मनुष्य जातिमें रोग ॥ १३ ॥ स्त्री और बालकको दुःख, समस्त धान्य का नाश हो । मकर राशिमें शनिका उदय हो तो राजाओं में युद्ध करने की बुद्धि हो और पशुओंका नाश हो । कुंभ और मीनराशिमें शनिका उदय हो तो मनुध्योंमें दीनता और धान्य न हो ॥ १४ ॥ ..... मेषराशिमें शनि का अस्त हो तो पृथ्वीमें धान्यभाव तेज हो । वृषराशिमें शनिका अस्त हो तो सर्वत्र गौ आदि को पीडा ! मिथुनराशिमें वेश्या
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