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गुरुवारफलम्
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ra द्वादशराशिषु गुरोरस्तफलम् - यस्तमेत्य जगतो गुरुरल्पवृष्टि, दुर्भिक्षमेव कुरुते वृषभे गुडस्य । तैलं घृतं च लवर्ण प्रभवेन्महर्धम्, मृत्युर्जनेऽल्पजलदो मिथुनेऽस्तमाप्तौ ॥ ८ ॥ कर्केऽस्ततो नृपभयं कुशलं सुभिक्ष,
सिंहे नृनाथरणलोकधनादिनाशः । कन्यास्ततः सकलधान्यसमघेता स्यात्, क्षेमं सुभिक्षमतुलं जनरोगनाशः ॥ ९ ॥ पीडा द्विजेषु बहुधान्यसमर्धता च, जाते तुलास्तमयने नयनेषु रोगः । राज्ञां भयान्यलिनि तस्करलुण्टनानि, माषास्तिलाच बहवो धनुषास्तमाप्तौ ॥ १० ॥ कुम्भे गुरोरस्तमायात् प्रजायाः, पीडापरं गर्भवती च जाया ।
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यदि मेषराशिमें बृहस्पति अस्त हो तो थोड़ी वर्षा और दुर्भिक्ष हो । वृषराशिमें अस्त हो तो गुड तेल घी और लवण ये तेज हो । मिथुनराशि : में अस्त हो तो मनुष्यों में मरण और थोड़ी वर्षा हो ॥ ८५॥ कर्कराशिमें अस्त हो तो राजभव, कुशल और सुभिक्ष हों । सिंहराशिमें अस्त हो तो राजाओं में युद्ध तथा लोगों के धनका नाश हो । कन्याराशिमें अस्त हो तो सब धान्य सस्ते हों, क्षेम, सुभिक्ष अधिक और मनुष्यों के रोगका नाश हो ॥ ६ ॥ तुलाराशिमें अस्त होतो ब्राह्मणोंको पीडा और धान्य बहुत सस्ते हो । वृविकराशिमें अस्त हो तो नेत्रों में रोग और राजाओं का भय हो, धनराशि में व्यस्त हो तो चोरों लूट करें और उर्द तिल अधिक हो ॥ १० ॥ कु'भराशिमें अस्त हो तो प्रजा को तथा गर्भवती स्त्रीको पीडा । मीनराशिमें अ
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"Aho Shrutgyanam"