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(१६८)
मेघमहोदये
जलतैलाज्यदुग्धान-रक्तवस्त्रमहर्घता ।।११५॥ उत्तमा मध्यमाः सर्वे सर्वभक्षणतत्पराः । क्षत्रियाणां छत्रभङ्गो म्लेच्छानां च ततः क्षयः ॥११॥ चैत्राश्विनाषाढमासा-स्त्रयो महर्घहेतवः । .. ... पश्चाद् धान्यसुभिक्षं स्यात् प्रजां पीडन्ति तस्कराः ॥११॥ हेमरूप्यताम्रलोह-कर्पूरं चन्दनादिकम् । .. महर्ध नर्मदातीरे महीतीरे शुभं भवेत् ॥११८॥ माघे मालपदे देश-भंगो वर्षा न भूयसी । ...... व्याधयो यहुला रूप्य-धातूनां च महर्घता ॥११९॥ मेदपाटे च कटकं मार्गशीर्षेऽपि पौषके । ........ महाजनानां पीडापि छनमङ्गो महाभयम् ॥ १२० ॥ देशग्रामपुरादीनां लुण्टनं युद्धसम्भवा. शालयो यवगोधूमा महर्घाः स्युस्तथा रसाः ॥१२१॥ खण्डाधान्यगुडानां मञ्जिष्ठायाः सितोपलादीनाम् । और मध्यम सब लोग सर्व प्रकारके भक्षणमें तत्पर हों, क्षत्रियों का क्षत्रभंग और म्लेच्छोंका विनाश हो ॥ ११६ ॥ चैत्र आश्विन और भाषाढ ये तीन महीने अन्नभाव तेज, पीछे सुभिक्ष, प्रजा को चोर अधिक दुःख दें ॥ ११७ ॥ सोना चांदी तांबा लोहा कपूर चन्दन आदि नर्मदानदीके तट पर महँगे हों और महीनदीके तट पर संस्ते हों ॥ ११८ ॥ माघ मासमें मालपद ( मालवा ) में देशभंग, वर्षा अधिक न हों, व्याधि अधिक और चांदी आदि धातु तेज हो ॥ ११६ ।। मेदपाट में कटक ( सैना) चाले मार्गशीर्ष और पौष इन दो मास महाजन को पीडा, छत्रभंग और महाभय हो ।। १२० ॥ देश गाँव पूरमें लूट और युद्ध हो । चावल जव गेहूँ तथा रस ये तेज हों ।। १२१ ॥ खांड धान्य गुड मंजीठ और सक्कर ये पांच फाल्गुन और चैत्रमें तेज हो ।। १२२ ॥ धी तेल रेशमीवस्त्र कंबलवस्त्र और
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