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उनदा-उन्मोचन उनदा, उनदहा*-वि० उनींदा ।
उनासी-वि० सत्तर और नौ, ७९ । पु० ७९की संख्या। उनमत, उनमद*-वि० उन्मत्त मस्त, मतवाला। उन्निद्र-वि० [सं०] जिसे नींद न आती हो, पूर्णतः विकउनमना*-वि० अनमना, उदास ।
सित । पु० निद्रा न आनेका एक रोग। उनमाथना*-स० क्रि० मथना ।
उनीस-वि० दस और नौ, १९; कम; छोटा; घटकर । पु० उनमाथी*-वि० मथनेवाला ।
१९की संख्या।-बिस्वे-अ० अधिकतर,प्रायः। मु०-बीस उनमाद*-पु० दे० 'उन्माद' ।
होना-कम-बेश होना, (एक दूसरेसे) कुछ घट-बढ़कर उनमान*-मु० अनुमान, अंदाजा; भाव; थाह सामर्थ्य । | होना, लगभग बराबर होना; भला-बुरा होना ।-होनावि० सदृश, अनुरूप ।
घटना, कुछ कम होना। उनमानना*-स० क्रि० अनुमान करना सोचना । उन्नैना*-अ० क्रि० झुकना । उनमीलन*-पु० दे० 'उन्मीलन' ।
उन्मत्त-वि० [सं०] नशे में चूर, मतवाला; पागल,सनकी। उनमुना*-वि० चुप, खामोश ।
-प्रलाप-पु० पागलकी बहक; मतवालेकी बकवास, अर्थउनमुनी*-स्त्री० दे० 'उन्मनी' ।
संगति-रहित बातें। उनमूलना*-सक्रि० उखाड़ना; नष्ट करना ।
उन्मद-वि० [सं०] मतवाला; पागल; उन्मत्त करनेवाला । उनमेख*-पु० दे० 'उन्मेष' ।
उन्मन*-वि० दे० 'उन्मना'। उनमेखना-अ० क्रि० विकसित होना; आँख खुलना। उन्मना(नस) वि० [सं०] उद्विग्न; उत्कंठायुक्त; अन्य. उनमेद-पु० प्रथम वर्षासे उत्पन्न जहरीला फेन, माँजा । मनस्क; उदास। उनमोचन*-पु० मुक्त करना; दूर करना।
उन्मनी-स्त्री० [सं०] हठयोगकी पाँच मुद्राओंमेंसे एक । उनयना*-अ० क्रि० दे० 'उनवना' ।
उन्माद-पु० [सं०] पागलपन, सनक; एक संचारी भाव । उनरना*-अ० क्रि० उमड़ना; उठना; कूदते हुए चलना -ग्रस्त-वि० उन्माद रोगसे पीड़ित, पागल । उछलना।
उन्मादक-वि० [सं०] उन्मत्त करनेवाला। पु० धतूरा । उनवना*-अ० क्रि० झुकना; गिरना; धहराना, ऊपर उन्मादन-पु० [सं०] उन्माद उत्पन्न करना, उन्मत्त करना; आना।
कामदेवके पाँच बाणों में से एक । उनवर*-वि० तुच्छ; कम ।
उन्मादी(दिन)-वि० [सं०] उन्मादग्रस्त; उन्मत्त । उनवान*-पु० अनुमान, खयाल ।
उन्मार्गी(गिन्)-वि० [सं०] कुमार्गगामी, पथ भ्रष्ट । उनसठ-वि० पचास और नौ, ५९ । पु० ५५की संख्या।उन्मीलन-पु० [सं०] खुलना (आँखका); खिलना; विकउनहत्तर-वि० साठ और नौ, ६९ । पु०६९की संख्या । सित होना। उनहानि*-स्त्री० दे० 'उन्हानि' ।
उन्मीलना*-स० क्रि० विकसित करना; खोलना । उनहार*-वि० दे० 'अनुहार' ।
उन्मीलित-वि० [सं०] खुला हुआ; खिला हुआ अंकित । उनहारि*-स्त्री० अनुरूपता, समानता।
पु० एक काव्यालंकार जहाँ दो वस्तुओंमें, बहुत सादृश्य उनाना*-स० क्रि० झुकाना; लगाना; सुनना, आशा | होनेके कारण, भेद करना कठिन होने पर भी किसी एक मानना।
बातसे भेद करना संभव हो सके, जैसे 'हिमगिरि तो यशसों उनारना*-सक्रि० उठाना; उकसाना; खसकाना, बढ़ाना ' मिल्यो छुए परत है जान' । -'ज्योति बढ़ावत दशा उनारि'-राम० ।
उन्मुक्त-वि० [सं०] बंधनरहित, आजाद; मुक्त किया उनासी*-वि०, पु० दे० 'उन्नासी' ।
हुआ। -पीताश्रय-पु० (फ्री पोर्ट) वह बंदरगाह जहाँ उनींदा-वि० नींदसे भरा हुआ, ऊँघता हुआ।
व्यापारिक वस्तुओंपर किसी तरहका कर, चुगी आद उन्नइस*-वि०, पु० दे० 'उन्नीस' ।
नहीं लगायी जाती-जो सब राष्ट्रोंके व्यापारके लिए, उन्नत-वि० [सं०] उठा हुआ; ऊँचा; आगे बढ़ा हुआ | समान रूपसे खुला हो। श्रेष्ठ, विद्या, कला आदिमें आगे बढ़ा हुआ; सभ्य । उन्मुक्ति-स्त्री० [सं०] (इम्यूनिटी) कर देने, किसी कर्तव्य के उन्नति-स्त्री० [सं०] ऊँचाई; बढ़ती; तरक्की; गरुड़की पत्नी। पालन या रोगके आक्रमणकी संभावना आदिसे मुक्ति,
-शील-वि० आगे बढ़ने या उसका यत्न करनेवाला। विमुक्ति । उन्नतोदर-पु० [सं०] वृत्त-खंड आदिका उठा हुआ अंश । उन्मुख-वि० [सं०] जिसका मुख या दृष्टि ऊपरकी ओर वि० जिसका उदर या मध्यवती भाग उठा हो। -बह-| | हो, उद्यत की ओर जाता हुआ (पतनोन्मुख); उत्कंठित । भुज-पु० (कानवेक्स) वह बहुभुज जिसका कोई भी कोण उन्मूलन-पु० [सं०] जड़ उखाड़ देना; जड़-मूलसे नाश पुनयुक्त कोण न हो।
करना (अपरूटिंग); अस्तित्व मिटाना, परिसमाप्ति उन्नयन-पु० [सं०] उठाना, उन्नतिकी ओर ले जाना (अबॉलिशन)। निकालना; खींचना (पानी); रेखा या सीमंत बनाना उन्मूलित-वि० [सं०] उखाड़ा हुआ; मिटाया हुआ। (गर्भवती स्त्रीका)। वि०जिसकी आँखें ऊपर उठी हों। उन्मेष-पु० [सं०] खुलना (आँखका); खिलना; स्फुरण; -यंत्र-पु० दे० 'उत्थानक' ।
प्रकाश दीप्ति । उन्नाब-पु० एक तरहका सूखा बेरजोदवाके काम आता है।। उन्मोचन-पु० [सं०] खोलना ढीला करना; (डिसचार्ज) उनायक-वि० [सं०] ऊपर उठानेवाला, उन्नति करानेवाला। (सजा पूरी हो जाने पर) कैद या बंधनसे मुक्त कर देना;
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