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( न्या० ) । - समाधि-स्त्री० एक प्रकारकी समाधि जिसमें एक ही अभिन्न तत्त्व ब्रह्म दिखाई देता है और ज्ञाता, शेय तथा ज्ञानके विभेदका बोध नहीं रह जाता । निर्विकल्पक - वि० [सं०] दे० 'निर्विकल्प' | निर्विकार - वि० [सं०] विकाररहित, अपरिवर्तित; उदा सीन । पु० परब्रह्म ।
निर्विकास - वि० [सं०] जा खिला न हो, अविकसित । निर्विघ्न - वि० [सं०] विघ्नरहित, जिसमें कोई बाधा न हो । अ० बिना विघ्न-बाधा के ।
निर्विचार - वि० [सं०] विचारशून्य । पु० समाधिका एक प्रकार (योग) ।
निर्विण्ण- वि० [सं०] निर्वेदयुक्तः खिन्न; जिसे वैराग्य हो हो गया हो, विरक्तः नम्रः ज्ञात; निश्चित | निर्विद्य - वि० [सं०] विद्याविहीन, मूर्ख, अपढ़ । निर्विरोध - वि० [सं०] विरोधरहित । अ० बिना विरोधके । निर्विवाद - वि० [सं०] विवादरहित, जिसके विषय में कोई विवाद न हो, बिना झगड़े- बखेड़ेका । निर्विवेक - वि० [सं०] विवेकशून्य । निर्विशेष - वि० [सं०] समान, तुल्यः सदा एक रूप रहनेवाला (परब्रह्म ) | पु० अंतरका अभाव । निर्विषी - स्त्री० [सं०] एक प्रकारकी घास जिसके सेवन से साँप, बिच्छू आदिका विष दूर होता है । निर्वज - वि० [सं०] वीजरहित; कारणरहित; नपुंसक । -समाधि - स्त्री० समाधिकी एक अवस्था जिसमें वीज या आलंबन विलीन हो जाता है (योग) । निर्वीरा - स्त्री० [सं०] पति और पुत्रसे रहित स्त्री । निर्वार्य - वि० [सं०] वीर्यरहित, शक्तिहीन, निर्बल; नपुंसक । निर्वृति - स्त्री० [सं०] सुख; मोक्ष । निर्वृत्त - वि० [सं०] जो पूरा किया जा चुका हो, निष्पन्न । निर्वृत्ति - स्त्री० [सं०] निष्पत्ति ।
निर्वेग - वि० [सं०] वेगरहित, शांत । निर्वेतन - वि० [सं०] जिसे वेतन न मिलता हो, अवैतनिक, बिना वेतनका । अ० बिना वेतन लिये । निर्वेद - वि० [सं०] नास्तिक । पु० अपने प्रति अवज्ञा; वैराग्य; शांत रसका स्थायी भाव; खेद । निर्वेष्टन - पु० [सं०] सूत लपेटनेकी जुलाहोंकी नरी; ढरकी । निर्वैर - वि० [सं०] वैरभाव से रहित, जो वैरभाव न रखे। पु० वैर या शत्रुताका अभाव ।
निर्व्याज - वि० [सं०] छल-कपट से रहित, सच्चा, विशुद्ध । निर्व्याधि-वि० [सं०] व्याधिसे रहित, नीरोग । निर्हरण - पु० [सं०] मुर्देको घरसे बाहर निकालना या उसे श्मशान ले जाना; निकालना; नष्ट करना, नाशन । निर्धारक - पु० [सं०] वह जो मुर्दोंको घरसे बाहर निकाले या श्मशान ले जाय ।
निर्हेतु - वि० [सं०] अकारण, बिना कारणका । निलंब खाता- पु० ( सस्पेंस अकाउंट) दे० 'अनुलंब खाता' । निलंबन - पु० [सं०] (सस्पेंशन) किसी कर्मचारीके अपराधी या दोषी होनेका संदेह उत्पन्न होनेपर उसे तबतक के लिए अपने पद से हटा देना जबतक उस संबंध में यथोचित छानबीन या जाँच न हो ले; कोई नियम, अधिवेशन, कार्य
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निर्विकल्पक - निवारक
आदि कुछ समय के लिए उठा रखना, टाल देना या अप्रभावी कर देना, अनुलंबन |
निलंबित - वि० [सं०] ( सस्पेंडेड) ( वह कर्मचारी) जो अपने किसी तथाकथित अपराध या दोपके कारण, अंतिम निर्णय होनेतक अस्थायी रूपसे पदच्युत कर दिया गया हो; कुछ समय के लिए रोका हुआ, अनुलंबित, मुअत्तल 1: निलज | - वि० दे० 'निर्लज्ज' ।
निलजई, निलजता* - स्त्री० निर्लज्जता, बेशमी । निलजी - वि० स्त्री० दे० 'निर्लज' | निलज * - वि० दे० 'निर्लज्ज' |
निलय - पु० [सं०] वासस्थान, रहने की जगह; घर; माँद; घोंसला सर्वथा नष्ट या लुप्त हो जाना, लोप, अदर्शन । निलयन - पु० [सं०] वास करना, बसेरा लेना; वासस्थान;
आश्रयस्थान, घर; बाहर जाना; उतरना ।
निलहा - वि० जिसका संबंध नीलसे हो, नीलवाला; नीलका कारोबार करनेवाला (जैसे- निलहा साहब ) । निलाम - पु० दे० 'नीलाम' | निलीन - वि० [सं०] पिघला हुआ; छिपा हुआ; विशेष रूपसे या बहुत अधिक लीन; नष्ट; परिवर्तित । निवना* - अ० क्रि० नवना, झुकना । निवर्तक- वि० [सं०] लौटनेवाला; रुकनेवाला; दूर करने वाला; लोटानेवाला ।
निवर्तन- पु० [सं०] रोकना, निवारण; पीछे हटना या हटाना; लौटना |
निवर्ती (तिन) - वि० [सं०] लौटनेवाला; भाग जानेवाला । निवर्हण - पु०, वि० [सं०] दे० ' निर्वहण' | निवसना* - अ० क्रि० वास करना, रहना । निवह- पु० [सं०] समूह, समुदाय; सात वायुओं में से एक । निवाई* - वि० नवीन; अद्भुत ।
निवाज - वि० दया करनेवाला, रहम करनेवाला (यह सदा समास में उत्तरपदके रूपमें प्रयुक्त होता है ) । निवाजना* - स० क्रि० कृपा करना; कृपापात्र बनाना । निवाजिश - स्त्री० दे० 'नवाजिश' | निवाड़-स्त्री०, पु० दे० 'निवार' । निवाड़ा - पु० एक प्रकारकी छोटी नाव; नावमें बैठकर की जानेवाली एक प्रकारकी जलक्रीडा । निवाड़ी-स्त्री० जूही की जातिका एक पौधा या उसका फूल । निवान* - पु० पानी या कीचड़ से भरी रहनेवाली नीची जमीन; जलाशय ।
निवाना* - स० क्रि० दे० 'नवाना' । निवाप-पु० [सं०] दान; पितरोंके उद्देश्यसे किया जाने
वाला दान |
निवार-स्त्री० कुएँकी नीवमें दिया जानेवाला लकड़ी आदिका चक्का जिसके ऊपर से कोठीकी जोड़ाई की जाती है, जमवट | पु० [सं०] एक प्रकारका धान जिसका चावल व्रत आदिमें खाया जाता है, तिन्नी, पसही; निवारण; + एक तरहकी मोटी मूली । निवारक - वि० [सं०] निवारण करनेवाला, रोकनेवाला । -निरोध- अधिनियम- पु० (प्रिवेंटिव डिटेंशन ऐक्ट) वह अधिनियम जिसके अनुसार किसी तरहका समाजविरोषी
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