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म्याँ-यकृत
६६२ वाली कमेटी, नगरसभा, नगरपालिका ।
म्लायी (यिन्)-वि० [सं०] कुम्हलाता, सूखता, छीजता म्यौं-स्त्री० दे० 'म्याँव' ।
हुआ। म्रक्षण-पु० [सं०] तेल, स्नेहन, लेपन मिलाना, मिश्रण । म्लेच्छ-पु० [सं०] जो संस्कृत न बोलनेवाला हो, अनार्य म्रजाद-स्त्री० मर्यादा-'लाज नजाद मिली औरनको, विदेशी; आर्य-सदाचारका पालन न करनेवाला; हिंगुल, मृदु मुसकनि मेरे बट आई'-नारा० स्वामी।
शिंगरफ । वि. पापरत; नीच। -कंद-पु. लहसुन । म्रदिमा(मन)-स्त्री० [सं०] मृदुता।
-जाति-स्त्री० अनार्य, असंस्कृत भाषी जाति । -देशम्रदिष्ट-वि० [सं०] अतिशय मृदु ।
पु० अनार्य देश, चातुर्वर्ण्य व्यवस्था आदिसे रहित देश । नियमाण-वि० [सं०] मरता हुआ; मरा हुआसा, मृतप्राय।। -भाषा-स्त्री० अनार्य भाषा; विदेशी भाषा ।-भोजनम्लात-वि० [सं०] कुम्हलाया हुआ, म्लान ।
पु० गेहूँ; यावक । -मंडल-पु० म्लेच्छ देश । -मुखम्लान-वि० [सं०] कुम्हलाया, मुरझाया हुआ; दुर्बल; पु० ताँबा ।
मलिन, गंदा। -मना(नस)-वि०खिन्नचित्त, उदास । म्लेच्छाश-पु० [सं०] गेहूँ। म्लानि-स्त्री० [सं०] म्लानता, कांतिक्षय, मलिनता; म्लच्छित-पु० [सं०] म्लेच्छ भाषा; अपभापा; परभाषा । उदासी।
म्हारा*-सर्व० हमारा।
य-देवनागरी वर्णमालाका छब्बीसवाँ व्यंजन, अंतस्थ वर्ण। | हुआ; जकड़ा हुआ, बंद किया गया। यंत, यंता(त)-पु० [सं०] संचालक, शासक; सारथी; यंत्री(विन)-पु० [सं०] नियंत्रण करने, बाँधनेवाला, महावत।
बलबलानेवाला तांत्रिक; (मेकानिक) यंत्रादिकी सहायतायंत्र-० [सं०] अंक या अक्षरोंसे युक्त विशेष आकार या से काम करनेवाला, कारीगर; यंत्र बनाने या मरम्मत कोष्ठ जिनमें देवताओंका वास माना जाता है (तंत्र), करनेवाला, यंत्रक, यंत्रश; यंत्रका प्रयोग करनेवाला। जंतर औजार, कल, मशीन; ताला; वीणा; बाजा; वाद्यसे य-पु० [सं०] यश, संयम भाग । -गण-पिंगलका एक उत्पन्न संगीत । -गृह-पु० वेधशाला; यंत्रणागृह (प्राचीन गण जिसमें पहला वर्ण लघु और शेष दोनों गुरु होते हैं। कालमें अपराधियोंके लिए होते थे); स्थान या घर जहाँ यक-वि० [फा०] एक; अकेला। -चश्म-वि० काना; कल, औजार, मशीनसे काम होता हो, कारखाना। एक रुखका (तसवीर आदि)। -चश्मी-वि० सबको -चातुर्य-पु० (टेकनीक) यंत्रादि चलाने, कल-पुरजे एक निगाहसे देखनेवाला एक रुखी (तसवीर)।-ज़बानआदि ठीक करने आदिकी विशेष योग्यता, चतुरता । वि०बातका पक्का; एक भाषाभाषी । (मु०-जवान होकर -जात-पु० (मशीनरी) विभिन्न यंत्रोंका समूह । -ज्ञ- कहना-मिलकर एक बात कहना।) -जा-वि० इकट्ठा पु० दे० 'यंत्री' । -पुत्रक-पु० (रोबॉट) यंत्रादिकी मिले-जुले। -जान-वि० खूब धुलामिला हुआ, एकसहायतासे हाथ-पाँव हिलानेवाला पुतला । -मंत्र- दिल । -तरफा राय-स्त्री. वह राय जो दूसरे पक्षका पु० टोना-टोटका । -मातृका-स्त्री० चौसठ कलाओंमेंसे विचार किये बिना दी या कायम की जाय। -र्दी या एक जिसमें यंत्रका बनाना और उसका व्यवहार करना फसली-वि. जो सालमें एक ही फसल पैदा करे शामिल है । -विद्-पु० (एंजिनियर) यंत्रविद्या जानने- (जमीन)।-बयक-अ० एकाएक, अचानक ।-बारगीवाला, यंत्रशास्त्रका ज्ञाता । -विद्या-स्त्री०,-शास्त्र-पु० अ० अकस्मात् , सहसा, अचानक । -मुश्त-अ०इकट्टा, (पंजिनियरिंग) यंत्र, एंजिन आदि बनाने, चलाने तथा एक बारमें। -रंग-रंगा,-रंगी-वि० एक रंगका, रेलका पुल आदि निर्मित करनेकी विद्या ।-शाला-स्त्री. अंदर-बाहरसे एक। -रुरखा,-रुखी-वि० एकतरफा, वेधशाला; वह स्थान जहाँ मशीनें, कलें और औजार एक रुखका। -लाई-स्त्री. छोटे अर्जकी, एक पाटकी आदि हों। -सज-वि० तोपों, टैको तथा शस्त्रास्त्रोंसे चादर नकाब; चोगा। वि० फर्दी (साड़ी या धोती)। सज्जित (सेना)। -सज्ज (सज्जित) सेना-स्त्री० (मेके -लौता-वि० एकमात्र (पुत्र)। -सर-वि० अकेला नाइज्ड आमी) टैंकों, कवचित गाड़ियों, मोटरगाड़ियों तथा इकट्टा, कुल । -साँ-वि० एकसा; एक प्रकारका । टेलीफोन आदि आधुनिक यंत्रोंका प्रयोग करनेवाली एवं -सानियत,-सानी-स्त्री० सशता, यकसाँ होना। उनसे लैस सेना। -समुच्चय-पु० (प्लांट) किसी कार- -सार-वि० एक जैसा। -साला-वि० एक सालका । खाने आदिमें बैठाये गये समस्त यंत्रों, उपकरणों आदिका ! मु०-जान दो कालिब-अभिन्नहृदय मित्र । -न शुद समूह; उद्योग-यंत्रावली ।-सूत्र-पु० कठपुतली नचानेका| दो शुद-एक बला तो थी ही, दूसरी और पीछे पड़ी। धागा, सूत ।
यकीन-पु० [अ०] विश्वास प्रतीति (आना, करना)। यंत्रक-पु० [सं०] (मेकानिक) दे० 'यंत्री।
यकीनन-अ० [अ०] अवश्य; निःसंदेह; विश्वासपूर्वक । यंत्रणा-स्त्री० [सं०] यातना, पीड़ा, क्लेश ।
यकीनी-वि० [फा०] असंदिग्ध । यंत्रालय-पु० [सं०] यंत्रशाला; छापाखाना, प्रेस । यकम-स्त्री० [फा०] महीनेकी पहली तारीख,तिथि, एक्कम । यंत्रिका-स्त्री० [सं०] छोटी साली; छोटा ताला । यकृत-पु० [सं०] पेटमें दायीं ओर एक थैली जिसमें यंत्रित-वि० [सं०] ताला लगाया हुआ; यंत्रयोगसे बँधा भोजनको पचानेवाला रस रहता है, जिगर ।
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