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साइयाँ-सागरांत साइयाँ*-पु० दे० 'साँई'।
-कार-पु० ज्ञान, अनुभूति; मिलन, देखादेखी । -कृत साइरी-पु० दे० 'सायर' ।
वि० प्रत्यक्ष, गोचर कराया हुआ। साई-पु० दे० 'साँई'।
साक्षादृष्ट-वि० [सं०] (अपनी) आँखों देखा हुआ। साई-स्त्री०वह धन जो गाने-बजाने या इस तरहके काम साक्षिता-स्त्री०, साक्षित्व-पु० [सं०] गवाही, प्रमाण ।
करनेवालोंको नियत समयपर काम करनेके लिए अग्रिम | साक्षी-स्त्री० गवाही, गवाहका बयान । दिया जाता है, बयाना; + किसानोंकी आपसकी सहा- साक्षी(क्षिन्)-वि० [सं०] (अपनी) आँखों देखनेवाला, यता। वि० [अ०] सई (कोशिश) करनेवाला; दौड़-धूप | चश्मदीद । पु० अहम् चश्मदोद गवाह । -परीक्षणकरनेवाला।
पु०, -परीक्षा-स्त्री. गवाहकी परीक्षा, जिरह, दे० साईस-पु० घोड़ेकी देखभाल करनेवाला नौकर ।
'प्रतिपरीक्षण' (कास-इग्जामिनेशन)। साईसी-स्त्री० साईसका काम ।
साक्षीकरण-पु० [सं०] (अटेस्टेशन) किसी बातके साक्षिसाउज*-पु. वे जानवर जिनका शिकार किया जाय- रूपमें हस्ताक्षर करना, किसी लेख या प्रमाणपत्रादिकी 'कीन्हेसि साउज आरन रहई'-५०।
प्रतिलिपिपर हस्ताक्षर कर स्वीकार करना कि वह सच्ची साक-पु० तरकारीके रूपमें खाया जानेवाला पौधेका पत्ता, और सही प्रतिलिपि है, सत्यापन । साग सागौन । * स्त्री० साखः धाक ।
साक्षीकृत-वि० [सं०] (अटेस्टेड) जिसपर साक्षिरूपमें साकट*-पु० शाक्त मत माननेवाला; मद्य, मांस आदिका हस्ताक्षर किया गया हो, हस्ताक्षर द्वारा जिसका सच्ची सेवन करनेवाला, निगुरा: खल ।
प्रतिलिपि होना स्वीकार किया गया हो। साकत-पु० दे० 'साकट'।
साक्षेप-वि० [सं०] आक्षेपात्मक, जिसमें व्यंग्य, ताना हो। साकर-+ वि० सँकरा, नंग। * स्त्री० साँकल । साक्ष्य-पु० [सं०] गवाही प्रमाण । -विधि-स्त्री० (लॉ साकल्य-पु० दे० 'शाकल्य'; [सं०] समग्रता, संपूर्णता। __ ऑफ एविडेंस) साक्ष्य-संबंधी विधि या कानून । -वचन-पु० पूरा पाठ।
साख-स्त्री० रोव, दबदबा; लेन-देन-संबंधी एतबार या साकांक्ष-वि० [सं०] इच्छायुक्त, इच्छुक; जिसके लिए प्रतिष्ठा; * डाली; जाति या वंशका भाग या अंग। -पत्र पूरक आवश्यक हो।
पु० (सिक्यूरिटीज) साखपर लिये गये ऋणका सूचक पत्र, साका-पु० शाका, संवत् रोब, दबदबा नामवरी कीर्ति- उस तरहके सार्वजनिक ऋणका सूचक पत्र जिसकी जामिन स्मारक । * स्त्री० इच्छा, चाह-'आजु आइ पूजी वह प्रायः देशकी सरकार होती है और कंपनियों के हिस्सों साका'-प० ।मु०-चलना-रोब माना जाना।-चलाना आदिकी तरह जिसकी खरीद-बिक्री अंकित मूल्यसे कम -दबदबा कायम करना।
या अधिकपर की जा सकती है। साकार-वि० [सं०] आकारयुक्त, रूपविशिष्ट, मूर्त, स्थूल; साखना*-स० क्रि० गवाही, साक्षी देना।
अच्छे आकारका, सुंदर । पु० ईश्वरका सगुण रूप । साखर*-वि० दे० 'साक्षर'। साकारोपासना-स्त्री० [सं०] ईश्वरके सगुण रूपकी उपासना। साखा-स्त्री० शाखा, ढाली; जाति या वंशका अंग । साकिन-वि० [अ०] गति हीन । पु० हलवर्ण; रहनेवाला, साखी-पु० गवाह पंच; * वृक्ष । स्त्री० गवाही; (कबीर निवासी । -हाल-वर्तमान निवासी (वर्तमान निवास आदिके) शान-विराग-विषयक पद । बतानेके लिए कहते हैं)।
साखू-पु० शालका पेड़, सखुआ। साक्री-पु०[अ०] पानी पिलानेवाला; शराब पिलानेवाला। साखोचार, साखोचारन*-पु० दे० 'शाखोच्चार'। साकूत-वि० [सं०] सार्थक, अर्थगर्भ; साभिप्रायः क्रीड़ा. | साख्य-पु० [सं०] मैत्री, दोस्ती। युक्त। -स्मित,-हसित-पु० साभिप्राय मंद हास; साग-पु. भाजीके रूप में खायी जानेवाली पत्तियाँ, शाक; प्रणयसूचक हास और चितवन ।
तरकारी। -पात-पु० साग-भाजी; रूखा-सूखा भोजन । साकेत, साकेतन-पु० [सं०] अयोध्या ।
सागर-पु० [सं०] ससुद्र (कहा जाता है कि राजा सगरके साकेतक-पु० [सं०] अयोध्या निवासी।
नामपर इसका नाम सागर पड़ा); सरोवर; चार या साक्तुक-पु० [सं०] जौ; जौका सत्त; एक विष । वि० सातकी संख्या; एक बहुत बड़ी संख्या (दस पद्म); सत्त-संबंधी।
एक नाग; सगर राजाके पुत्र; एक मृग; (ला०) बहुत बड़ी साक्ष-वि० [सं०] नेत्रयुक्त; जपमालासे युक्त ।
राशि या पुंज । वि. समुद्र-संबंधी। -गंभीर-पु० साक्षर-वि० [सं०] पढ़ा-लिखा, शिक्षित ।
समाधिका एक प्रकार । -गम,-गामी (मिन)-वि० साक्षरता-स्त्री० [सं०] पढ़े लिखे होनेका भाव । -आंदो- समुद्रमें जानेवाला । -गा-स्त्री० नदी गंगा। -गालन-पु. (लिटरेसी के पेन) निरक्षरोको साक्षर, अपढ़ोंको | सुत-पु० भीष्म ।-ज-पु०समुद्रलवण । -धरा-स्त्री० पढ़ा हुआ, बनाने के लिए चलाया गया आंदोलन । पृथ्वी । -धीर,-चेता(तस)-वि० जिसका मन सागरसाक्षात्-अ० [सं०] आँखोंके सामने, प्रत्यक्ष; स्पष्टतः; की तरह शांत और गंभीर हो । -नेमि,-नेमीवस्तुतः; सीधे । -कर-कारी(रिन्)-वि० प्रत्यक्ष, -मेखला-स्त्री० पृथ्वी ।-वासी (सिन्)-वि० समुद्रगोचर करनेवाला; मिलनेवाला। -करण-पु० आँखोंके तटपर रहनेवाला। -शुक्ति-स्त्री० समुद्री सीप ।-सूनुसामने रखनेकी क्रिया; अनुभूति; किसी बातका तात्का
| पु० चंद्रमा। लिक कारण। -कर्ता(त)-वि० सब कुछ देखनेवाला।सागरांत-पु० [सं०] समुद्रतट ।
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