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सीझ-सीमंत सीझ-स्त्री० सीझने, पकनेकी क्रिया, पकाव ।
मरकहा न हो ( गाय, घोड़ा), नम्र, विनीत; दाहिना सीझना-अ० क्रि० आग और पानीकी सहायतासे पकना; (सीधा हाथ)। अ० ठीक सामने बिना मुड़े-घूमे बिना पककर नरम होना; गलना-रहिमन नीर पखान भीजै और कहीं गये या रुके (सीधा घरका रास्ता लिया)। पै सीझै नहीं'-रहीम, चमड़ेका सिझावसे नरम, चिकना -उलटा-दे०बि० 'उलटा सीधा'। -पन-पु० सिधाई होना; पगना; कष्ट पाना; तपस्या करनाठंढ खाना; भोलापन :-सादा(धा)-विभोला-भाला,सरलस्वभाव । पसेव निकलना; रिसना; प्राप्त होनेकी स्थितिमें होना -तीरसा-बिलकुल सीधा, ठीक सामने (सीधा तीरसा (जैसे व्याज आदि); ऋणका भुगताया जाना ।
गया) मु०-आना-सामनेसे आना; सामना करना, सीटी-स्त्री० दोनों होठोंको सिकोड़कर बीचसे हवा निका- भिड़ना (दिल्ली)। -करना-वक्रता, कुटिलता, ऐंठ, लनेसे पैदा होनेवाली सुरीली आवाज; छोटा बाजा जिसे अकड़ दूर करना, सीधी राइपर लाना; ठोंक-पीटकर ठीक मुँहसे फूंकनेसे इस तरहकी आवाज निकलती हैबाजे करना; निशाना बाँधनेके लिए तीर, बंदूकको लक्ष्यके आदिसे निकला हुआ सीटी जैसा शब्द। -बाज़-पु० सामने करना । होना-सीधा किया जाना, ऐंठ, कुटिसीटी बजानेवाला । मु०-देना-सीटी बजाना; सीटी लता आदि दूर होना; आमादा होना; मेहरबान होना। बजाकर कोई संकेत करना; रेलका खुलनेके पहले इंजनमें | सीधी-वि०, स्त्री० दे० 'सीधा' ।-तरह-अ० भलमनसीलगे हुए यंत्रसे सीटीकी सी आवाज निकालना।
से, सिधाईसे। -नज़र,-निगाह-स्त्री० कृपादृष्टि, प्रसन्नसीठा-वि० फीका, बेमजा । -पन-पु. नीरसता। तासूचक दृष्टि ।-बात-स्त्री० खुली, साफ बात, आसानीसीठी-स्त्री. रस चूस या निकाल लिये जानेपर बचा | से समझमें आनेवाली बात । -राह-स्त्री० भलाईका हुआ फोक या फुजला; साररहित वस्तु ।
रास्ता, सत्पथ । लकीर-स्त्री० सरल रेखा । मु०-उँगसोड़-स्त्री० दे० 'सील' (आर्द्रता, नमी)।
लियौँ घी नहीं निकलता-नरमीसे काम नहीं चलता। सीढ़ी-स्त्री० ऊँचे नीचे स्थानपर चढ़ने-उतरनेके लिए बना -सुनाना-खरी-खरी कहना; खुली गालियाँ देना। हुआ लकड़ी, पत्थर, लोहे आदिके डंडों या पायौंका सिल- | सीधे-अ० ठीक सामने, बिना मुड़े-झुके बिना और कहीं सिला, जीना, निसेनी; उन्नति-क्रम ।
गये या रुके सिधाईसे; नरमी, भलमनसीसे । -मुंह-अ० सीत*-पु० दे० 'शीत' । -कर*-पु. चंद्रमा। शिष्टता, भलमनसीसे (सीधे मुँह बात न करना)।-सेसीतल*-वि० दे० 'शीतल'।-चीनी-स्त्री० दे० शीतल- भलमनसीसे, सिधाईसे। चीनी'। -पाटी-स्त्री० दे० 'शीतल-पाटी'।
सीन-पु० [अं॰] दृश्य, नज्जारा; नाटकका कोई परदा, सीतला-स्त्री० दे० 'शीतला'। -माई-स्त्री. शीतलादेवी। गर्भाक; नाटक या कहानी में वर्णित घटनाओंके घटित सीता-स्त्री० [सं०] हलके फालसे धरतीमें बननेवाली होनेका स्थान, घटनास्थल । -सीनरी-स्त्री० रंग-मंचकी रेखा, फॅड जोती हुई जमीन कृषिकर्म; फाल; सीरध्वज | सजावटका सामान । जनककी कन्या जो रामको ब्याही गयी। -जानि,- सीनरी-स्त्री० [अं०] किसी स्थानके प्राकृतिक दृश्य; रंगनाथ,-पति-पु० रामचंद्र । -फल-पु० शरीफा मंचकी सजावटका सामान । • कुम्हड़ा। -रमण-पु० राम । -रवन,-रौन*-पु. सीना-स० क्रि० सूई या सूएसे किये हुए छेदोंसे तागा दे० 'सीतारमण'। -वर-वल्लभ-पु. रामचंद्र । निकालकर कपड़े, टाट, चमड़े आदिके टुकड़ोंको जोड़ना, -हरण-पु० सीताका रावण द्वारा अपहरण ।
टाँका मारना, सिलाई करना। -पिरोना-स० क्रि० सीताध्यक्ष-पु० [सं०] राजाकी सीरका प्रबंध करनेबाला | सिलाई-बुनाईका काम करना । पु० सिलाईका काम । कर्मचारी।
सीना-पु० [फा०] छाती।-ज़ोर-वि० बली, जबरदस्त । सीत्कार-पु०, सीस्कृति-स्त्री० [सं०] 'सीसी की ध्वनि -जोरी-स्त्री० जबरदस्ती, धींगा-धींगी। -बंद-पु० सिसकी।
अँगिया; घोड़ेकी पेटी जो तंगके ऊपर कसी जाती है। वह सीथ*-पु० पके हुए चावल या जूठनका दाना-'बचे कपड़ा जो बच्चोंकी छातीपर इसलिए बाँध देते हैं कि राल सोथ संतनके पाऊँ'-ललितकि० ।
टपकनेसे और कपड़े खराब न हों; रुईदार फतुही या सीथि*-पु० दे० 'सीथ'।
वास्कट । सीदना*-अ० क्रि० कष्ट पाना ।
सीप-पु०, स्त्री० शंख, घोंघे आदि की जातिका एक जलसीध-स्त्री० सीधा होनेका भाव; ठीक सामनेकी दिशा जीव, शुक्ति; इस कीड़ेका किश्तीनुमा, कड़ा खोल जिसके ऋजुता।
बटन आदि बनाते हैं और जिसका भस्म दवाके काम आता सीधा-पु० भोजनकी असिद्ध, कच्ची सामग्री (चावल, है। -ज*-पु० मोती। -सुत*-पु० मोती । दाल, आटा आदि) जो किसीको पकाकर खानेके लिए या सीपति-पु० दे० 'श्रीपति' । दानरूपमें दी जाय । वि. जो ठीक सामनेकी ओर या| सीपर*-स्त्री० दे० 'सिपर' । किसी एक ही दिशामें गया हो, जिसमें टेढ़ापन या घुमाव सीपिज*-पु० मोती। न हो, सरल, ऋजुः खड़ा; जो शरीर, फसादी, लड़ाका | सीपी-स्त्री० दे० 'सीप' । न हो, भला; जिसमें ऐंठ, अकड़, बनावट आदि न हो, सीबी*-स्त्री० 'सी-सी'का शब्द, सीत्कार । भोला-भाला, बिना छक्के पंजेकाखुला, साफ, बिना सीमंत-पु० [सं०] सिरमें निकाली हुई माँग; हद, सीमाऐंच-पेंचका (सीधा जवाब), आसान (काम); जो कटहा, रेखा, सीमंतोन्नयन संस्कार; इडियोंका जोड़, अस्थि
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