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सुनहरा-सुप्त
८५८ सुनहरा, सुनहला-वि० सोनेके रंगका।
वृत्त । वि० सुंदर मार्गवाला; * चौरस । सुनहा-पु० श्वान, कुत्ता ।-'सुनहा खेदै कुंजर असवारा' सुपथ्य-वि० [सं०] वहुत हितकर बहुत स्वास्थ्यकर । -कबीर।
सुपन, सुपना*-पु० दे० 'स्वप्न'। सुनाई-स्त्री० दे० 'सुनवाई'।
सुपनाना-सक्रि० सपना दिखाना। अ०क्रि० स्वप्न सुनाद-वि० [सं०] सुंदर ध्वनिवाला, सुस्वर । पु० शंख । । देखना। सुनाना-स० क्रि० किसीके सामने, किसीको संबोधित
सामन, किसाका सबाधित | सुपरण, सुपरन*-वि०, पु० दे० 'सुपर्ण' । करके कुछ कहना, दूसरेको श्रवण कराना; जताना; खरी- सुपररायल-पु [0] कागजके तावकी एक नाप खोटी कहना, फटकारना।
(२२४२९ इंच)। सुनाभ-वि० [सं०] सुंदर नाभिवाला; बढ़िया मूठवाला । सुपरस*-पु० दे० 'स्पर्श' । पु० सुदर्शन चक्र, मैनाक पर्वत पर्वत ।
सुपर्ण-वि० [सं०] सुंदर पत्तोंवाला; सुंदर पंखवाला । पु० सुनाभि-वि० [सं०] सुंदर नाभिवाला (वै०)।
सुंदर पत्ता; देवगंधर्व गरुड़ कोई बड़ा शिकारी पक्षी। सुनाम(न)-पु० [सं०] नेकनामी, कीर्ति, यश। सपर्णक-वि० [सं०] सुंदर पत्तोंवाला सुंदर पंखोंवाला। सुनामा(मन्)-वि० [सं०] सुंदर नामवाला, कीर्तिशाली। पु० गरुड़ या कोई दिव्य पक्षी; अमलतास; सप्तपर्ण । सुनार-पु० सोने-चाँदीके गहने गढ़नेवाला, स्वर्णकार । सुपर्णी-स्त्री० [सं०] कमलिनी; गरुड़की माता; मादा सुनारी-स्त्री० सुनारका काम; सुनारकी स्त्री।
चिड़िया; अग्निकी सात जिह्वाओंमेंसे एक रात्रि पलाशी। सुनावनी-स्त्री० परदेशसे किसी स्वजन-संबंधीकी मृत्युका सुपर्णेय-पु० [सं०] गरुड़।। समाचार आना; ऐसा समाचार मिलनेपर किया जाने- सुपर्वा-स्त्री० [सं०] श्वेत दूर्वा । वाला स्नान आदि ।
सुपर्वा(वन्)-वि० [सं०] सुंदर गाँठों या पोरोंवाला; सनासा-स्त्री० [सं०] सुंदर नाक; काकनासा ।
सुंदर पर्यो, अध्यायोंवाला (ग्रंथ); बहुप्रशंसित । पु० शुभ सुनासिक-वि० [सं०] सुंदर नाकवाला।
काल; बेत; बाँस, बाण धूम, धुआँ देवता । सुनासीर-पु० [सं०] इंद्रा देवता ।
सुपात्र-पु०[सं०] सुंदर पात्र; योग्य व्यक्ति (जो दानादिसुनाहक*-अ० दे० 'नाइक़'।
का अधिकारी हो)। सुनिग्रह-वि० [सं०] अच्छी तरह नियंत्रित; जिसपर सुपार-वि० [सं०] जो आसानीसे पार किया जा सके। भासानीसे नियंत्रण किया जा सके।
जो जल्द गुजर जाय (जैसे वर्षा); सफलताकी ओर ले सुनिद्र-वि० [सं०] गाढ़ी नींदमें सोया हुआ।
जानेवाला।-ग-वि० अच्छी तरह पार जानेवाला। सुनिश्चय-पु० [सं०] पक्का निश्चयः सुंदर निश्चय । सपारण-वि० [सं०] जिसका पाठ या अध्ययन करना सुनिश्चित-वि० [सं०] भली भाँति निश्चित, पक्का । आसान हो। सुनीति-स्त्री० [सं०] सुंदर नीति; ६ वकी माता । सुपारी-स्त्री० नारियलकी जातिका एक पेड़ इस पेड़का सुनेत्र-वि० [सं०] सुंदर आँखोंवाला ।
फल जो पानके साथ या अलगसे मुख-शुद्धिके लिए खाया सुनैया-पु० सुननेवाला।
जाता है, छालिया, डली; शिश्नका अगला भाग । मु०सुनोची-पु. एक तरहका घोड़ा।
लगना-सुपारीके टुकड़ेका गले में अटक जाना। सन-पु० शुन्य, मुन्ना। वि०निर्जीव, जड़वत, संवेदन- | सुपाश्र्व-पु० [सं०] सुंदर पाव वर्तमान अवसर्पिणीके रहित । -सान-वि० दे० 'सुनसान'।
७वें तीर्थकर या अर्हत् (जैन)। वि० सुंदर पार्श्ववाला। सुन्नत-स्त्री० [अ०] राहा रीति, दस्तूर; वह रास्ता या | सुपास-पु० आराम, सुभीता। भाचारपथ जिसपर मुहम्मद और उनके प्रमुख साथी- सुपासी-वि० सुख, आराम देनेवाला; सुखी-'तुलसी बसि पहलेके चार खलीफा-चले हों; खतना, मुसलमानी। हरपुरी राम जपु जो भयो चहै सुपासी'-विनय० । सुना-पु० शून्य, सिफर।।
सुपीन-वि० [सं०] बहुत मोटा । सुनी-पु० [अ०] मुसलमानोंका एक फिरका।
सुपुत्र-पु० [सं०] लायक बेटा, सपूत; जीवक वृक्ष । वि० सुपंख-वि० [सं०] सुंदर पंखोंवाला; सुंदर तीरोंवाला।
अच्छे पुत्रोंवाला। सुपंथ-पु० [सं० 'सुपंथा'] उत्तम मार्ग सन्मार्ग। सपुत्रिका-वि० स्त्री० [सं०] अच्छे पुत्र(या पुत्रों)वाली। सुपक*-वि० दे० 'सुपक्क' ।
सपुरुष-पु० [सं०] भला आदमी; सुंदर पुरुष । सुपक्क-वि० [सं०] अच्छी तरह पका हुआ। पु० एक | सुपुर्द-वि० दे० 'सिपुर्दे'। सुगंधयुक्त आम ।
सुपुष्करा-स्त्री० [सं०] स्थलपभिनी। सुपच*-पु० दे० 'श्वपच'।
सुपूत-पु० दे० 'सपूत' । वि० [सं०] अतिपूत, पवित्र । सुपठ-वि० [सं०] जो आसानीसे पढ़ा जा सके। सुपूती-स्त्री० दे० 'सपूती' । सुपत*-वि० जिसकी अच्छी प्रतिष्ठा हो, प्रतिष्ठित । | सुपेत, सुपेदी-वि० सफेद । सपत्न-पु० [सं०] तेजपत्ता, हिंगोट; आदित्यपत्र । वि. सपेती*-स्त्री० दे० 'सफ़ेदी'।
सुंदर पत्तोंवाला; सुंदर पंखोंवाला, सुंदर परसे युक्त(वाण)। सुपेदी-स्त्री० तोशक रजाई दे० 'सफेदी' । सुपत्थ-पु० दे० 'सुपथ'।
सुपेली-स्त्री० छोटा सूप । सुपथ-पु० [सं०] अच्छा रास्ता सन्मार्ग, सदाचार; एक सुप्त-वि० [सं०] निद्रित, सोया हुआ; सोनेके लिए लेटा
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