Book Title: Gyan Shabdakosh
Author(s): Gyanmandal Limited
Publisher: Gyanmandal Limited
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हकरावे-हंसावली
हॅकरावा-पु० बुलावा, आमंत्रण, निमंत्रण; हंबा, भा-स्त्री० [सं०] बैल आदिका राँभना। पुकारने, बुलानेकी क्रिया।
| हंस-पु० [सं०] बड़ी-बड़ी झीलोंमें रहनेवाला एक सफेद हॅकवा-पु० शेरके शिकारमें शोर-गुल मचा, बाजा आदि जलपक्षी (कविसमयके अनुसार यह दूधसे पानी अलग कर बजाकर उसे मचानके निकट लाना जिसमें शिकारी उसका देता है); ब्रह्मा आत्मा; जीवात्मा; पंच प्राणवायुओं मेसे शिकार कर सके।
एक; सूर्यः शिवः विष्णु, कामदेव, संन्यासियोंका एक भेद । हकवाना-म०क्रि० चौपायोंको किसीके द्वारा हटवाना, -गति-स्त्री० ईसकीसी मोहक गति; ब्रह्मप्राप्तिः एक भगवाना; (इक्के, बैलगाड़ी आदिको किसीके द्वारा) चल. वृत्त । -गमन-पु० हंसकी चाल । -गामिनी-स्त्री. वाना; किसीसे किसीको पुकरवाना, बुलवाना।
हंसकीसी गतिवाली स्त्री; ब्रह्माणी । -ज-पु० स्कंदका हंकवैया-पु० हाँकनेवाला व्यक्ति ।
एक अनुचर धर्मराज, कर्ण आदि । -जा-स्त्री० सूर्यपुत्री, हंका*-स्त्री० हाँक, पुकार; ललकार । मु०-देना,- यमुना । -नाद-पु० हंसध्वनि, हंसका कलरव । मारना-ललकारना; पुकारना।
-नादिनी-वि० स्त्री० मधुरभाषिणी ।-नादी(दिन)हँकाई-स्त्री० चौपायोंको हाँकनेकी क्रिया बैलगाड़ी आदि- वि० हंस जैसी ध्वनि करनेवाला । -माला-स्त्री० के हाँकनेका काम; हाँकनेका पारिश्रमिक ।
हंसपंक्ति; एक तरहकी बतख, एक वृत्त । -रथ-पु० हँकाना-सक्रि० हँकवाना हाँकना ।
ब्रह्मा । -राज-पु० बड़ा हंसा एक बूटी। -वंश-पु० हंकार-स्त्री० वह ललकार जो युद्ध, लड़ाई-झगड़ेके अव- सूर्यवंश।-वाहन-पुब्रह्मा ।-सुता-स्त्री यमुना नदी ।
सरोंपर सुनी जाती है, हुंकार । * पु० अहंकार, घमंड। हंसक-पु० [सं०] हंस पक्षी; पैरोंमें पहननेका भूषण, हँकार-स्त्री० ललकार किसीको पुकारने संबोधन करने- नूपुर, विछिया आदि। की ऊँची आवाज, हुंकार । सु०-देना-पुकारना। हँसन-स्त्री० हँसनेकी क्रिया; हँसनेका ढंग। -पढ़ना,-लगना-बुलाने, संबोधन करनेकी क्रियाका हँसना-अ०क्रि० खुले मुँहसे वेगपूर्वक हर्षध्वनि निकालना होना, पुकार या चिल्लाइट मचना।
प्रसन्न होना; खुशी मनाना, मजाक करना अच्छा देख हंकारना-सक्रि० ललकारना; ऊँचे स्वरसे बुलाना, पड़ना, रौनकदार जान पड़ना। * स० कि. उपहास पुकारना, संबोधित करना; पास बुलाना, निकट आनेके करना । हँसता चेहरा,-मुंह-पु. प्रसन्न मुखड़ा । लिए कहना । अ० क्रि० हुँकारना, हुंकार भरना। हसतामुखी*-वि० प्रसन्नवदन । मु० हंसकर बात हँकारा-पु० बुलावा, आमंत्रग, निमंत्रण; पुकार, बुलवाने- उड़ाना-किसी बातको अनावश्यक समझकर उसपर की क्रिया।
ध्यान न देना । हँसते-बोलते-मजाक करते-करते, हंकारी*-वि• अहंकारी, घमंडी।
दिल्लगीसे । हँसते हँसते-हँस-हँसकर, बहुत हँसते हंगामा-पु० [फा०] मार-पीट, हल्ला-गुल्ला, उपद्रव । हुए। हँसते-हँसते पेटमें बल पड़ जाना-अधिक हंटर-पु० एक तरहका चाबुक जो लंबा होता है, कोड़ा। हँसने के कारण पेट में एक प्रकारकी ऐंठन होने लगना। हंडना-अ० कि० घूमना, फिरना; बेमतलब घूमना । हँसते हँसते लोट जाना-बहुत हँसते हुए लोटपोट स० क्रि० चीजोंको उलट-पलटकर दूँदना ।
होने लगना। हँस देना-हँसने लगना । हंसनाहंडा-पु० पानी इत्यादि भरनेका ताँबे या पीतलका बना बोहना-दिल्लगी, मजाक करना, प्रसन्नतापूर्वक वार्तालाप घड़े जैसा बड़ा पात्र । स्त्री० [सं०] मिट्टीका बहुत बड़ा करना। हंस पड़ना-हँस देना। हंस-बोलकर बसर पात्र; निम्न जातिकी स्त्री, दासी आदि ।
करना-प्रसन्नतापूर्वक जीवन निर्वाह करना। हँस-बोल हंडिका-स्त्री० [सं०] बटलोई जैसी आकृतिवाला मिट्टीका लेना-प्रसन्नतापूर्वक वार्तालाप करना, हँसी-खुशीसे बरतन, हाँडी।
बातचीत करना। डिया-स्त्री० एक प्रकारका मिट्टीका बर्तन, इंडिकाके हेसनि*-स्त्री० दे० 'हसन' । ढंगका शीशेका पात्र जो शोभाके लिए रईसोंके कमरेमें | हंसनी-स्त्री० मादा हंस, हंसी । अथवा विवाह आदिके अवसरोंपर छतसे लटकाया जाता हँसमुख-वि० प्रसन्न, प्रफुल्लवदन, हँसते चेहरेवाला; है। एक तरहकी शराब जो जौ, चावल आदिसे बनायी दिल्लगीबाज, विनोदी। जाती है।
हंसली-स्त्री० गलेके नीचेकी एक हड्डी; स्त्रियोंका एक हंडी-स्त्री० [सं०] दे० 'हंडिका' ।
गहना जो गले में पहना जाता है। हंत-अ० [सं०] खेद, विषाद, अनुकंपादि सूचक शब्द । हँसाई-स्त्री० ठट्ठा, हँसी; निंदा, बदनामी; उपहास । हंतष्य-वि० [सं०] वध्य, हननके योग्य, मार डालने | हंसाधिरूढा-स्त्री० [सं०] सरस्वती। योग्य।
हँसाना-सक्रि० किसीको हास्योन्मुख करना, हँसनेमें हंता(त)-पु० [सं०] मार डालनेवाला, विनाशक; डाकू । प्रवृत्त करना; खुश करना। मु० हसा मारना-बहुत हंबी-वि० स्त्री० [सं०] वध करनेवाली।
हँसाना। हँथोरी*-स्त्री० दे० 'हथेली।
हँसाय-स्त्री० हँसी, हँसाई । हथौरा-पु० दे० 'हथौड़ा'।
हंसारूढ-वि० [सं०] हंसपर सवार । पु० ब्रह्मा । हँथौरी-स्त्री० दे० 'हथौड़ी' ।
हंसारूढा-स्त्री० [सं०] सररवती। हुँफनि*-सी० हाँफनेकी क्रिया ।
हिसावली-स्त्री० [सं०] हंस श्रेणी।
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