Book Title: Gyan Shabdakosh
Author(s): Gyanmandal Limited
Publisher: Gyanmandal Limited
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भैरपदं - प्रेग
आवाज ।
मरवद* - पु० मुँहपर रेखाएँ बनाना - 'अंजन ऑजि माँडि मुख मरवट फिरि मुख हेरौ री ' - धन० । मलपात्र - पु० [सं०] शौच जानेके लिए स्टूल आदिके नीचे रखा जानेवाला चीनी मिट्टीका पात्र, कमोड । मसरना* - स० क्रि० मसलना - 'कुँवर कान्ह जमुना मैं न्हात । मसरत सुभग साँवरे गात ।' - घन० । मसलन- स्त्री० मसलनेकी क्रिया, रगड़, मर्दन - 'मैं वह हलका-सी मसलन हूँ जो बनती कार्नोकी लाली' - कामायनी ।
महालील* - वि० महा लीला करनेवाला | महावायुपति -पु० (एयर मार्शल) वायु सेनाका सबसे वडा अधिकारी |
महिमंड* - वि० महिमामंडित - ' खोजें सिद्ध चारन मुनीस महिमड है' - घन० ।
महुर* - वि० मधुर (रासो) ।
महाछ- पु० दे० 'महाच्छव' ।
माँगपट्टी - स्त्री० बाल संवारना, केश-रचना, माँगचोटी | मांगल्य - पु० [सं०] मांगलिक द्रव्य - ' वेदाध्यायी ब्राह्मणों के उत्क्षिप्त मांगल्यसे राजमार्ग भर गया होगा'
हजारीप्र० । माँडना * - स० क्रि० फैला देना, रखना छत्तीस० ) - 'चौपडि माँडी चौहटै अरघ उरध - साखी । माँहि * - अ० हृदयके भीतर अपने ही अंदर - 'सब अँधियारा मिटि गया जब दीपक देख्या महि' - साखी । माइल * - वि० दे० 'मायल' |
(मँडाना, बाजार'
मागद* - पु० दे० 'मागध' ।
माचिस - स्त्री० दे० 'दियासलाई' | मादकद्रव्यविभाग-पु० [सं०] (एक्साइज डिपार्टमेंट) गाँजा, भाँग आदि मादक द्रव्यों पर नियंत्रण रखनेवाला सरकारी विभाग ।
मादी - स्त्री० [सं०] कृष्णकी एक पत्नीका नाम; दे० मूलमें । मामी - स्त्री० स्वीकृति; दे० मूलमें । मु० - भरना- हामी भरना, समर्थन करना - 'बेद भरत हैं मामी' - घन० । मिंबर- पु० मसजिद के बीच में बना वह ऊँचा स्थान जिस पर खड़े होकर इमाम धार्मिक भाषण करता 1 मिग* - पु० मृग, हरिण ।
मिड़ना * - अ० क्रि० चिपक जाना- 'घन आनँद ऍडिनि आनि मि' ।
मिलकाना, मुलकाना - सु० क्रि० दे० 'मलकाना' । मीडकी * - स्त्री० मेढकी ।
मील - पु० दे० मूलमें । -के पत्थर - दूरी या प्रगति बतानेवाले चिह्न |
मुचित* - वि० मुक्त, खुला ।
मुंजली* - वि० स्त्री० मूंकी ।
मुंस+ - पु० पति, शौहर, खसम (बुंदेल० - तिरस्कार में प्रयुक्त) - 'मुंस पूतको कोसनेमें नहीं लजाती' - अमर० । मुँहअधियारे - अ० दे० 'मुँह अँधेरे' । मुँहझाँसा - वि० जिसका मुँह झुलस दिया गया हो
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( एक गाली) ।
मुँहाचही * - स्त्री० बोलचाल; (प्रेमी-प्रेमिकाका) परस्पर मुख देखते रहने, नित्य साथ बने रहने की अवस्था'जीवन मुँहाचही को नीको' - सूर (?); दे० मूलमें । मुकलावा - पु० गौना ।
मुखनी । - स्त्री० मुख्य स्त्री या कार्यकत्री - ' हमारे गोलकी मुखनी है यह' - मृग० । मुखबंधनी - स्त्री० (मजिल) शैतान घोड़े, गाय आदिका मुँह बाँधने के लिए पहनायी जानेवाली जाली, जाबा । मुखारी - स्त्री० मुखाकृति; ऊपर या सामनेका भाग; दतुअन ।
मुखिल - वि० खलल डालनेवाला, बाधक ('ग़बन ') । मुगुध* - वि० दे० 'मुग्ध' - तिय- स्त्री० मुग्धा नायिका - 'कहा अँगोछति मुगुध तिय पुनि-पुनि चंदन जानि'ललित० ।
मुछाड़िया - पु० बड़ी मूछोंवाला, मुछैल, मुछंदर । मुजनूँ * - सर्व० मुझको ।
१०००
मुडवरिया - स्त्री० सिरहाना |
|
मुनगा -पु० सहिजन, शोभांजन |
मुर्शी- पु० पाँवमें पहननेका एक तरहका ऐंठनदार छड़ा; दे० मूलमें ।
मुलकित * - वि० पुलकित, प्रसन्नः दे० मूल में मुश्क- स्त्री० दे० मूलमें। मु० मुश्कें बाँध लेना - बाहोंपर रस्सी कसकर कब्जे में कर लेना, गिरफ्तार कर लेना ।
मुसका - पु० दे० 'जाबा' ।
मुसुक+ - स्त्री० मुश्क, कंधे से कोहनीतकका हिस्सा । मुहर* - वि० मुखर |
मूँद * - स्त्री० मुद्रिका, सुँदरी, अँगूठी ।
मूँड़ + - ५० दे० मूलमें। मु० नौ का हो जाना - बहुत शक्तिशाली और जबरदस्त हो जाना ।
मूझना * - अ० क्रि० मूच्छित होना - 'सोचनि जूझत मूझत ज्यौ' - घन० ।
मूली-स्त्री० दे० मूलमें । मु० - गाजर समझना - तुच्छ समझना, (किसी को) कुछ भी न गिनना । मूसली - स्त्री० छोटा मूसल; खरल में डालकर मसाला आदि कुटनेका पत्थर या लोहेका बट्टा या छोटा डंडा'इमामदस्तेकी मूसली उठा लाया और लगा तालेपर दनादन प्रहार करने' - मनो०, नव० ५५ । मँडडा * - सर्व० मेरा |
मेघपुष्प - पु० [सं०] कृष्णके चार घोड़ोंमेंसे एकका नाम । मेहरवा * - पु० मेद्द, बादल - 'उमड़ उमड़ घुमड़-घुमड़ रस राखिलौ नेह- मेहरवा' - घन० ।
मेहरा* - पु० वृष्टि, बादल - 'उघरि उघरि अब बरसन लाग्यो अचरजको यह मेहरा' - घन० ।
मँडा * - सर्व ० मेरा |
मैनू * - सर्व० मुझको ।
मैवासा * - पु० दे० 'मवास' |
मौन* - पु० मोयन, घीका मेल ।
मृग, म्रग्ग* पु० मृग ।
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