Book Title: Gyan Shabdakosh
Author(s): Gyanmandal Limited
Publisher: Gyanmandal Limited

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Page 927
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हिरण्याक्ष-हिसाब . ९१८ सूक्ष्म शरीर धारण करनेवाली आत्मा, सूत्रात्मा; एक फँसाना, उलझाना; पास लाना। लिंग । वि० ब्रह्मा-संबंधी। -पुरुष-पु०स्वर्णनिर्मित पुरुष. | हिलना-अ० कि. अस्थिर होना, चंचल होना; किसी प्रतिमा ।-रेता (तस)-पु० अग्नि, सूर्य, शिवचित्रका स्थानपर स्थिर, जमा याद न रहना; किसी स्थानसे वृक्ष । -वर्चस-वि० सोनेकीसी कांतिवाला। -वाह- इधर-उधर जाना, डोलना, होना; काँपना; जल में प्रविष्ट पु० सोन नदी; शिव ।-वीर्य-पु० अग्नि; सूर्य ।-स्रक- होना; परचना, परिचित होना। मुहिल जानास्त्री० सोनेकी माला या सिकड़ी। परच जाना। हिलना-ढोलना-चंचल होना; घूमनाहिरण्याक्ष-पु० [सं०] हिरण्यकशिपुका यमज भाई जिसे फिरना; काम-धाम करना; उद्यम, प्रयत्न, कोशिश विष्णुने वराहका रूप धारण कर मारा था । करना। -मिलना-घुलना-मिलना, एक हो जाना; हिरदय-पु० दे० 'हृदय' । भेंट-मुलाकात करते रहना। हिरदा-पु० हृदय । हिलमोचि, हिलमोचिका-स्त्री० [सं०] एक शाक। हिरदावल-पु० घोड़ेके सीनेपरकी भौरी जो अशुभ है। हिलसा-स्त्री० एक तरहकी मछली । हिरन-पु० हरिण, मृग। मु०-हो जाना-चंपत हो हिलाना-सक्रि० चंचल करना, अस्थिर करना, किसी जाना, लुप्त हो जाना; तुरत भागकर दूर हो जाना। चीजको इधर-उधर करना, डोलाना; किसी वस्तु या हिरनाकुस*-पु० दे० 'हिरण्यकशिपु' । व्यक्तिको किसी स्थानसे हटाना, खिसकाना; कपाना; हिरनौटा-पु. मृगशावक, हिरनका बच्चा। जलमें प्रविष्ट कराना परचाना; किसी वस्तुको ऊपर-नीचे, हिरमजी-स्त्री० [फा०] एक तरहकी लाल मिट्टी जिससे | दायें-बायें ले जाना, डोलाना। दीवार आदि रँगते हैं; एक तरहका लाल फूल जिससे हिलाल-पु० [अ०] नया चाँद नया और आखिरी चाँद । कपड़े रँगते है। एक रंग। हिलोर-स्त्री० हिल्लोल, जल-तरंग। हिरसा-स्त्री० दे० 'हिर्स' । हिलोरना-स० कि० हिलकोरना; इलोरना; कपड़ेको हिराती-वि०हिरात-संबंधी। पु० एक तरहका घोड़ा (जो पानीमें डालकर हिलाना जिससे मैल छंट जाय । हिरात नामक स्थान में होता है)। हिलोरा-पु० हिलोर । मु०-लेना-हिलकोरा लेना, हिराना-अ० क्रि० खो जाना, लुप्त हो जाना; अस्तित्व तरंगित होना। न रह जाना, अभाव होना, सुध-बुध खो देना; स्तब्ध हिलोल-पु० हिल्लोल, लहर । रह जाना; नष्ट होना। स० क्रि० याद न रखना, विस्म- हिल्लोल-पु० [सं०] लहर मनकी तरंग; हिंदोल राग । रण करना, भूलना; हुँढ़वाना। हिल्वला-स्त्री० [सं०] मृगशिरा नक्षत्रके सिरके पासके हिरास-स्त्री० [फा०] डर, भय, दहशत, नैराश्य मायूसी। पाँच छोटे तारे। वि.हिरासाँ, निराश-'यो कहि सुमंत हिये है हिरास हिवा-पु० बर्फ, तुषार, पाला । -रामरसा। हिवंचल-पु० हिमाचल; पाला, हिम, बर्फ । हिरासत-स्त्री० [अ०] निगरानी नजरबंदी हवालात । | हिवार-पु० हिम, पाला। मु०-होना-बहुत शीतल हिरासाँ-वि० [फा०] भीत; निराश, मायूस । होना। हिरौल*-पु० दे० 'हरावल' । हिस(हिस्स)-स्त्री० [अ०] अनुभूति; किसी ज्ञानेद्रियके हिर्स-पु० [भ] लोभ, लालच, तृष्णा, हवस । द्वारा जानना, संवेदन; गति, चेष्टा । हिसाहिर्सी-अ० दूसरोंको करते देखकर, देखा-देखी । हिसाब-पु० [१०] गिनती, गणना; जोड़, किसी आर्थिक हिस-वि० [फा०] लालची। व्यवहारका विवरण, लेन-देन, खरीद-बेची भादिका म्योरा, हिलकना -१० कि० दे० 'हिरकना; हिचकी लेना; लेखागणित विद्या; गणितका प्रश्न; भाव, निर्ख, नियम, सिसकना । स० कि. सिकोड़ना। रीति; हाल; ढंग, तरीका; लेन-देन; राय, खयाल, हिलकी-स्त्री० हिचकी-'जागत हू पिय हिय लगी,हिल- समझ । -किताब-पु. आर्थिक व्यवहारका ब्योरा, की तऊ न जाय'-मति० सिसकनेकी क्रिया, सिसका लेखा; लेन-देन; बही-खाता; (ला) ढंग, तरीका । उमंग; लहर। -चोर-पु. वह जो हिसाव करने में कोई रकम दबा ले। हिलकोर-पु० जलकी तरंग, हिलोल । -दा-वि०हिसाब जाननेवाला, गणितश। -दार-पु. हिलकोरना-स० क्रि० जलको तरंगित करना, पानीमें | हिसाब रखनेवाला। -बही-स्त्री. वह बही जिसमें लहरें उठाना। आमदनी-खर्चका ब्योरा लिखा जाय । मु०-करना-देनाहिलकोरा-पु० दे० 'हिलकोर' । मु०-देना-पानीको पावना समझना, जोड़ना । -चुकता करना-देना चुका धक्केसे हिलाना, तरंगित करना। -लेना-तरंगित देना। -तलब करना-हिसाब माँगना, हिसाब समहोना। झानेको कहना ।-देना-हिसाब समझाना ।-न होनाहिलग-स्त्री० परचनेका भाव, मेलजोल, प्रेम-'हिलगके बेहिसाब होना, गिनती न होना। -पर चढ़ना-बही पद गायो करते'-अष्टछाप । या खातेमें लिखा जाना। -पाक करना-देना चुका हिलगना-अ० कि० परचना, मेलजोल होना, हिरकना; देना। -पूछना-हिसाब माँगना। -बेबाक करनाउलझना, फँसना; पास आना। खातेमें कुछ बाकी न रह नाना। -बैठना-ब्योंत बैठना, हिलगाना-स० क्रि० परचाना, मेलजोल कायम करना सब कामों, आवश्यकताओंका उपाय निकल आना; मेल For Private and Personal Use Only

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