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हाजिर-हाथ हाजिर-वि० [अ०] जो सामने हो, उपस्थित, मौजूदः 'हथकंडा'। -तोड़-पु. कुश्तीका एक दाँव । -पानप्रस्तुत, तैयार ।-जवाब-वि० जो बातका तुरत जवाब पु० पानके आकारका एक आभूषण जो हाथके पंजेके दे, जिसे बातका बढ़िया,यथायोग्य जवाब तुरत सूझ जाय। ऊपरी भागपर पहना जाता है। -फूल-पु० हथेलीके -जवाबी-स्त्री० हाजिर जबाब होना,बातका तुरत बढ़िया ऊपरी भागपर पहननेका फूलके आकारका एक गहना । जवाब सोच लेनेकी शक्ति ।-जामिन-पु० वह जो किसी मु०-आँखोंसे लगाना-बहुत आदर-सम्मान करना आदमीको अदालत में हाजिर कर देनेकी जिम्मेदारी ले । ( कारीगरीकी प्रशंसा आदिके अवसरपर)। -आगे -नाज़िर-वि० मौजूद और देखनेवाला।
करना-किसी वस्तुको लेने या देनेके लिए हाथ बढ़ाना। हाज़िरात-स्त्री० [फा०] अनेक प्रेतात्माओंका एक साथ -आजमाना-किसी कामके करने में अपनी कारीगरी, आवाहन, जिन, भूत-प्रेत इत्यादिकी हाजिरीका जलसा शक्ति आदिकी आजमाइश करना । -आना-वशमें (करना, होना)।
होना, अधिकारमें होना; फायदा होना ।-उठा-उठाकर हाज़िरी-स्त्री० [फा०] उपस्थिति, मौजूदगी; दरबादारी; कोसना-आसमानकी ओर हाथ करते हुए बहुत बदसवेरेका खाना; अंग्रेजोंका नाश्ता; (मुसल०) वह खाना जो दुवाएँ देना। -उठाकर देना-स्वेच्छासे किसीको कुछ मुर्दे के दफन किये जानेके बाद मृत जनके कुटुंबियोंके देना; दान देना । (किसीको)-उठाना-किसीका लिए भेजा जाय । मु०-देना-हाजिर होना, उपस्थितिकी अभिवादन करना, प्रणाम करना, नमस्कार करना । सूचना देना ।-बजाना-किसी बड़े आदमीके पास बरा- (किसीपर)-उठाना-किसीको ताड़ित करना, मारना। बर रहना, दरबारदारी करना। -लेना-नाम पुकारकर -उठा बैठना-किसीको मार बैठना; असहयोग कर देना, छात्रों आदिकी उपस्थिति मालूम करना, लिखना। किसी काममें सहायता देना बंद करना । -उठा लेनाहाज़िरीन-पु० [अ०] 'हाजिर'का बहु०, (सभा आदिमें) सहायता बंद करना । -उतरना-हाथ उखड़ना, उपस्थित जन, श्रोतृमंडली । -(ने) जलसा-पु० सभामें हाथकी हडीका स्थानभ्रष्ट होना। -ऊँचा करनाउपस्थित जनसमाज ।
खचीला होना; किसीके लिए दुवा करना, किसीको हाजी-० [अ०] हज करनेवाला; जो इज कर चुका हो । आशीर्वाद देना ।-ऊँचा होना-दानी होना;दानवृत्तिकी हाट-स्त्री. बाजार; बाजार लगनेका दिन; दुकान । ओर उन्मुख होना; खर्चीला होना।-कट जाना-विवश -व्यवस्था-स्त्री० (मारकेटिंग) उत्पादित वस्तुओंके हो जाना, बेकाबू हो जाना; किसीको किसी कामके लिए खरीदने, बेचने तथा बिकवानेकी व्यवस्था । मु०- वचन देकर बँध जाना। -कटा देना-कटाना-कटा करना-दुकान करना, किसी बाजारमें दुकान खोलकर लेना-दे० 'हाथ कट जाना' । -करना-ताश आदि बेचना-खरीदना बाजारमें सामान खरीदना । -खोलना खेलमें बाजी जीतना । -कलम करना-पूरा हाथ -दुकान करना; दुकान लगाना। -चढ़ना-बाजारमें काटना । -का झूठा-रुपये-पैसेके मामले में, लेन-देनमें बिकनेके लिए जाना । -बाजार करना-सौदा खरीदनेके | जिसपर विश्वास न किया जाय, बेईमान ।-काट देनालिए बाजार जाना। -लगना-बाजार, दुकानमें बेचनेके विवश कर देना, बेकाबू कर देना; किसी द्वारा किसीके लिए चीजोंका सजाया जाना।
लिए पत्र, बचन आदि दिलाकर उसे विवश, बेकाबू कर हाटक-वि० [सं०] स्वर्णनिर्मित, स्वर्णमय । पु० स्वर्ण, देना। -का दिया-दान दिया हुआ; दान ('हाथदिया' सोना धतूरा; दुकानका किराया; एक देश । -गिरि- रूप भी चलता है)। -का मैल-सामान्य परिश्रमसे पु० सुमेरु ।-पुर-पु० (स्वर्णनिर्मित) लंका ।-लोचन- मिल जानेवाला पदार्थ; तुच्छ वस्तु । -का सञ्चा-रुपयेपु० हिरण्याक्ष ।
पैसेके मामले में, लेन-देनमें जिसपर विश्वास किया जाय, हाटकेश, हाटकेश्वर-पु० [सं०] गोदावरी नदीके तटपर ईमानदार । -की सफाई-हाथके उद्योग, बाजीगरी पूजित होनेवाला एक शिवलिंग ।
आदिमें हाथकी कारीगरी; लड़ाई-भिड़ाई में वार करनेका हाड़*-पु० इड्डी; कुलीनता ।
अच्छा अभ्यास । -को हाथ नज़र न आना-धना हाड़ा-पु० क्षत्रिय जातिकी एक शाखा; हजा।
अंधकार होना। -खाली जाना-जुए आदिमें दाँव, हातव्य-वि० [सं०] छोड़ने, त्याग करने योग्य ।
बाजीका न आना वार चूकना, हमला नाकामयाब होना; हाता-पु० दे० 'एहाता'; रोक । * वि० परित्यक्त; दूर युक्ति, चालाकी, उपायका न लगना, न सफल होना । नाशक।
-खाली न होना-काममें व्यस्त रहना, कामसे फुर्सत हातिम-पु० [अ०] अरबके ते कबीलेका एक सरदार जो न मिलना। -खाली होना-बिना पैसेका होना । दानशीलता और परोपकार-परायणताका आदर्शसा माना। -खीरना-किसी कामसे हट जाना, उसमें सहयोग न जाता है। वि० अति दानशील; अति परोपकारी ।-ताई करना; द्रव्य देना बंद करना, आर्थिक सहायता रोकना। -पु० हातिम; हातिमताईका किस्सा। मु०-की कनपर -खुजलाना-द्रव्यप्राप्तिकी पूर्व सूचना मिलना; चपत लात मारना-दानशीलता या परोपकारमें हातिमसे जमाने, थप्पड़ लगाने, पीटनेकी प्रवृत्ति होना ।-खुलनाबढ़ जाना।
दानोन्मुख होना; खचीला होना हाथका चलना, काम हात्र-पु० [सं०] वेतन, पारिश्रमिक ।
देने लगना, हथछुट होना । -खोलना-दान करना; हाथ-पु० दे० 'हस्त'; ताश, कौड़ी आदि खेलनेवालोंकी खूब खर्च करना; आजादी देना; तंगी न रहने देना । बारी, दावदस्ता, मूठ, कर्मचारी। -कंडा-पु० दे० -गलना-हाथ ठिठुरना, अत्यंत शीतसे हाथका सुन्न
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