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सुदुष्प्राप-सुनसान सुदुष्प्राप-वि० [सं०] जिसे प्राप्त करना बहुत कठिन हो। पु० अमृत बरसानेवाला । -सदन-पु० चंद्रमा । सुदुस्त्यज-वि० [सं०] जिसका त्याग करना बहुत -सागर-पु. अमृतका समुद्र। -सिंधु-पु० सुधाका कठिन हो।
समुद्र । -सिक्त-वि० सुधासे सींचा हुआ, सुधासे तर । सुदूर-अ० [सं०] अति दूर, बहुत दूर । वि० बहुत दूरका । सुधाई-स्त्री० दे० 'सिधाई।
-पूर्व-पु० अति पूर्वके देश, चीन, जापान इत्यादि । सुधाकर-पु० [सं०] चंद्रमा । सुदृढ-वि० [सं०] बहुत मजबूत, सुरक्षित ।
सधाधर-वि० [सं०] जिसके अधर में अमृत हो। पु० दे० सुदृष्टि-वि० [सं०] अच्छी निगाहवाला । पु० गिद्ध। 'सुधामें'। सुदेश-पु० [सं०] उपयुक्त स्थान; अच्छा, सुंदर, देश । सुधाना*-स० क्रि० सुध कराना, याद दिलाना; ठीक * वि० सुंदर ।
कराना; शोध कराना। सुदेस*-पु० अच्छा स्थान; स्वदेश । वि० अच्छा, सुंदर । सुधामय-वि० [सं०] अमृतपूर्ण; चूनेका बना हुआ । सुदेसी-वि० दे० 'स्वदेशी'।
पु० प्रासाद। सुदौसी*-अ० शीघ्रतापूर्वक ।
सुधार-पु० दोष दूर करने या होनेका भाव; संस्कार । सुहा-पु० [अ०] सूखा, कड़ा मल ।
वि० अच्छी धार या नोंकवाला (बाण)। -प्रन्याससुद्ध*-वि० दे० 'शुद्ध'।
पु० (इंप्रूवमेंट ट्रस्ट) किसी नगरके सुधार, नवनिर्माण सुद्धि*-स्त्री० दे० 'शुद्धि'; दे० 'सुध' ।
आदिके लिए स्थापित संस्था । सुधंग*-पु० अच्छा ढंग ।
सुधारक-पु. सुधार करनेवाला; सुधारका आंदोलन सुध-स्त्री० याद होश, चेत खबर । * वि० शुद्ध । बुध- करनेवाला । स्त्री० होश-हवास, चेत। -मना*-वि० होशवाला, सुधारना-सक्रि० दोष, त्रुटि दूर करना, दुरुस्त करना। सचेत । मु०-दिलाना-याद दिलाना। -न रहना
लाना याद दिलाना। -न रहना-सुधारा*-वि० सीधा, भोला । याद, होश न होना। -बिसरना-याद न रहना, सुधारालय-पु० (रिफामेंटरी) एक तरहका वंदीगृह जहाँ होश न रहना । -लेना-खोज-खबर लेना; याद करना। अपराध करनेके कारण सजा पाये हुए बालक रखे जाते सुधन-वि० [सं०] अति धनी, बहुत पैसेवाला (वै०)। । हैं और शिल्प इत्यादिकी शिक्षा देकर उन्हें सुधारनेका सुधना-अ० क्रि० शुद्ध होना, ठीक किया जाना । प्रयत्न किया जाता है। सुधन्वा(न्वन्)-वि० [सं०] जिसका धनुष बहुत बढ़िया | सुधावास-पु० [सं०] चंद्रमा । हो; धनुर्विद्यामें कुशल ।
सुधि-स्त्री० दे० 'सुध' । सुधरना-अ० क्रि० दुरुस्त होना, दोष या विकृतिका दर सुधी-पु० [सं०] पंडित, बुद्धिमान् व्यक्ति । स्त्री० सुंदर होना, बिगड़े हुएका बनना ।
बुद्धि, सुबुद्धि । वि० सुंदर बुद्धिवाला, सुबुद्धियुक्त । सुधरवाना-स० क्रि० सुधार कराना, ठीक कराना। सुधीर-वि० [सं०] ढ़, धैर्यवान् । सुधराई-स्त्री० सुधार सुधारनेकी उजरत ।
सधौत-वि० [सं०] अच्छी तरह धुला, साफ किया हुआ; सुधर्म-पु० [सं०] सुंदर, उत्तम धर्म, न्याय, कर्तव्य । चमकाया हुआ। सुधा*-अ० साथ, समेत ।
सुनकिरवा-पु. एक कीड़ा जिसके पर पन्नेके रंगके होते सुधांग-पु० [सं०] चंद्रमा।
हैं, जुगनू * एक पौधा (?) । सुधांशु-पु० [सं०] चंद्रमा कपूर ।
सुनगुन-स्त्री० हलकी, अस्पष्ट चर्चा, कानाफूसी; उड़ती सुधा-स्त्री० [सं०] अमृत; मकरंद रस; दूध, जल; शहद | हुई खबर टोह (पाना, मिलना)। पृथ्वी; विष; चूना सफेदी । -कंठ-पु० कोयल ।-कार- सुनत-वि० [सं०] बहुत झुका हुआ । * स्त्री दे० 'सुन्नत' । पु० चूना, सफेदी करनेवाला, राज । -क्षालित-वि० सुनति-पु० [सं०] एक दैत्य । * स्त्री० दे० 'सुन्नत'। सफेदी किया हुआ। -गेह-पु० चंद्रमा । -घट-पु० सुनना-स० क्रि० श्रवणेंद्रियसे शब्दका ग्रहण करना, चंद्रमा । -जीवी(विन्)-पु० सफेदी करनेवाला, कानोंसे आवाज मालूम करना; ध्यान देना; बुरा-भला राज। -दीधिति-पु० चंद्रमा। -धर-पु. चंद्रमा सहना, फटकारा जाना (एक कहोगे, दस सुनोगे); मुक-धवल-वि० सफेदी किया हुआ; चूनेसा सफेद । दमा सुनना। मु. सुना सुनाया-दूसरोंके मुहँसे सुना -धवलित-वि० सफेदी किया हुआ। -धी*-वि. हुआ, जो आँखों देखा न हो। सुनी-अनसुनी करनासुधावालासुधातुल्य । -निधि-पु० चंद्रमा; समुद्र; एक | बात सुनकर भी उसपर ध्यान न देना। वृत्त । -पाषाण-पु० सफेद खली, खड़िया।-भवन- सुनबहरी-स्त्री० एक तरहका कुष्ठ रोग जिसमें रुग्ण-स्थल वि० चूना पुता हुआ मकान, पंचम मुहूर्त। -भित्ति- सुन्न हो जाता है। स्त्री० सफेदी की हुई दीवार । -भुक(ज),-भोजी- सनयना-वि० स्त्री० [सं०] सुलोचना । स्त्री० नारी राजा (जिन)-पु. अमृतपान करनेवाला, देवता । मयूख- जनककी पत्नी। पु० चंद्रमा। -रश्मि-पु० चंद्रमा। -रस-पु० अमृत सुनरिया, सुनी -स्त्री० सुंदरी । दूध । वि० सुधा सा स्वादिष्ट । -वर्ष-पु०,-वृष्टि-स्त्री० सनवाई-स्त्री०श्रवण मुकदमे या फरियादका सुना जाना। अमृतकी वर्षा । -वर्षी(र्षिन)-वि० अमृत बरसाने-सुनवैया-पु० सुननेवाला; * सुनानेवाला । वाला। पु० ब्रह्मा, चंद्रमा एक बुद्ध । -श्रवा- सुनसान-विनिर्जन, जनशून्य; वीरान । पु० सन्नाटा ।
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