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सुहैल-सूखा सुहैल-पु० [अ०] एक तारा जिसका उदित होना शुभा- सूक्षम-वि० दे० 'सूक्ष्म । वह समझा जाता है।
सूक्ष्म-वि० [सं०] बहुत बारीक; बहुत छोटा; अणुरूप V*-अ० दे० 'सों', से।
तहतक पहुँचनेवाली, बारीक बातोको देखने-समझने में सूइस-पु० दे० 'तूंस'।
समर्थ (दृष्टि, बुद्धि); रोमकूपसे प्रवेश करनेवाली (औषध); संघना-स० कि० नाकसे गंध ग्रहण करना, वास लेना। कठिनाईसे समझमें आने, ग्रहण करने योग्य; महत्त्वहीन, (ला०) बहुत कम खाना; (साँपका) सना।
तुच्छ । पु० अणुः परमात्मा शिव अध्यात्म; एक अर्थासुंघा-पु० मिट्टी सूंघकर जमीनके अंदरकी चीजें बतलाने- लंकार जहाँ दूसरेका किया हुआ कोई सूक्ष्म कृत्य देखकर वाला; सूंघकर शिकारकी टोह लगानेवाला भेदिया,जासूस। संकेतसे उसका उत्तर देना या समाधान कर देना दिखाया सूंड-स्त्री० हाथीकी स्तंभाकार नाक जो नीचे लटकती जाय । -कोण-पु० न्यून कोण । -तंडुल-पु० खसरहती है, शुंड।
खास, पोस्तेका दाना । -दर्शकयंत्र-पु. खुर्दबीन, सूडाल-पु० शुंडाल, हाथी।
अणुवीक्षण। -दर्शी(शिन् ),-दृष्टि-वि० अत्यंत सँडी-स्त्री० फसलोंमें लगनेवाला एक कीड़ा।
छोटी-छोटीबातें तक समझ लेनेवाला, बहुत बुद्धिमान् । सूंस-पु० चार-पाँच हाथ लंबा एक जल-जंतु जो नदीकी -देह-स्त्री० सूक्ष्म शरीर । -पत्रिका-स्त्री० सौंफ धारामें कभी-कभी कलैया लेता हुआ-सा देख पड़ता है। । शतावरी, लघुब्राझी छोटीपोय; दुरालभाआकाशमांसी। सूह-अ० सामने ।
-परीक्षण-पु० (स्क्रुटिनी) बारीकीसे जाँच करना; सूअर-पु. एक जानवर जिसके पालतू और जंगली दो ब्योरे आदिके संबंधमें अच्छी तरह छानबीन करना; भेद होते हैं, पालतू मैलाखोर और जंगली बहुत बलवान् । बेईमानी, पक्षपात आदिकी शंका होनेपर मतदानपत्रों, तथा हिंस्र होता है। -बियान-स्त्री० प्रति वर्ष बच्चा उत्तर-पुस्तकों आदिकी सावधानतापूर्वक फिरसे की जानेजननेवाली स्त्री; बहुत बच्चे जनना। -का बच्चा-हराम- वाली जाँच। -बदर-पु०,-बदरी-स्त्री० झड़बेरी। जादा (गाली)।
-बीज-पु. पोस्ता दाना । -बुद्धि,-मति-स्त्री० सुअरनी-स्त्री० शुकरी; (ला०) बहुत बच्चोंकी माँ । बारीक बातोंको समझ सकनेवाली, तहको पहुँचनेवाली सूआ-पु० बड़ी सूई; * तोता, शुक ।
बुद्धि । वि० ऐसी बुद्धिवाला, तीक्ष्ण-बुद्धि । -शरीरसई-स्त्री० लोहेका बारीक, नोकदार तार जिसके एक सिरे- पु० जीवका भोगशरीर, पंच प्राण, पंच ज्ञानेंद्रिय, पंच परके छेद में तागा डालकर कपड़ा सीते हैं, सूची; सूएके तन्मात्र और मन बुद्धि-इन १७ अवयवोंका समूह । आकारका छिद्ररहित काँटा जिससे बुनाई, जाली बनाने | -शर्करा-स्त्री० रेत, बालुका । आदिका काम करते हैं; तराजूका काँटा, घड़ी, कुतुबनुना सूक्ष्मा-स्त्री० [सं०] यूथिका, जूही; छोटी इलायची । आदिका काँटा; रगों में दवा प्रविष्ट करानेका नलीके ढंगका | सुख-वि० सूखा हुआ, शुष्क । नुकीला औजार; इस औजारसे दवा भीतर प्रविष्ट कराने- सूखना-अ० क्रि० जलहीन होना; तरी या गीलापनका की क्रिया (इनजेक्शन, अंतःक्षेपण); अनाज, कपास आदि न रह जाना; रसहीन होना; दुबला होना; डरना नष्ट का अँखुआ। -कारी-स्त्री० (नीडिल वर्क) दे० 'सूची- होना; कड़ा पड़ जाना। मु० सूखकर काँटा हो कार्य'। -डोरा-पु० मालखंभकी एक कसरत । -का। जाना-बहुत दुबला हो जाना। सूख जाना-सुन्न, काम-सूईसे बनाये हुए बेल-बूटे। -का नाका-सूईका स्तब्ध हो जाना (""सुनकर सूख गया) । छेद । मु०-का भाला (फावड़ा) बना देना-जरासी सूखा-वि० सूखा हुआ, खुश्क, रसहीन; निस्तेज, उदास; बातको बहुत तूल दे देना। -के नाकेसे ऊँट निका- स्नेहरहित; निरा; बेमुरौवत (सूखा आदमी); कोरा, दोलना-अनहोनी बात कर दिखाना। -पिरोना-सूईके टूक । पु० अवर्षण, अकाल ("पड़ना); बच्चोंका एक छेदमें तागा डालना। -सहयों नाज पिरोना-बहुत रोग जिसमें उनकी देह सूखती और हड्डियाँ, खासकर कंजूसी करना (स्त्रि०)।
रीढकी हड्डी नरम होती जाती है। नदी किनारेकी सूखी सूक-पु० [सं०] बाण, वायुः कमल; हृदका एक पुत्र; * जमीन खुश्क तंबाकू; भाँग। -जवाब-पु० सफा, दो.
दे० 'शुक'-'उआ सूक जस नखतन्ह माहाँ'-५० । ट्रक इनकार । -(खी)खुजली-स्त्री० वह खुजली जिसमें सूकना*-अ० क्रि० दे० 'सूखना।
दाने निकलकर पकते नहीं, केवल खुजली होती है। सूकर-पु० [सं०] सूअर, शूकर, एक तरहका हिरन । -तनख्वाह-स्त्री० जिसके साथ भोजन, भत्ता या ऊपरी -क्षेत्र-पु. एक पुराना तीर्थस्थान, सोरों। -खेत*- आमदनी न हो। -तरकारी-स्त्री० विना रसेकी तरपु० दे० 'सूकरक्षेत्र' । -गृह-पु० सूअरके रहनेका बाड़ा, कारी। -(खे)टुकड़े-पु० रोटीके सूखे टुकड़े, गरीबका खोभार।
भोजन । मु०-टालना-कोरा जवाब देना। -पड़नासूकरी-स्त्री० [सं०] मादा सूअर, सूअरी ।
पानी न बरसना, अकाल पड़ना। -लगना-सूखा रोग सूका-पु० रुपयेका चतुर्थांश, चवन्नी; सूखा, अवर्षण। होना, दुबला हो जाना । -(खी)सुनाना-साफ जवाब वि० सूखा ।
देना, दोटूक इनकार करना । -(खे)घाटौँ उतारनासूक्त-वि० [सं०] सुंदर रीतिसे कथित; सुंदर उक्तिविशिष्ट वंचित रखना। -टुकड़ोंपर कौए उड़ाना-छोटीसी (वाक्य) । पु० वेदका मंत्र या स्तोत्र सुंदर कथन । तनखाहपर जलील करना। -धानोंपर पानी पड़नासूक्ति-स्त्री० [सं०] सुंदर उक्ति चमत्कारपूर्ण वाक्य, पद्य ।। नैराश्यकी दशामें मनोकामना पूरी होना।
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