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स्थानांतर-स्थिति
८८४ रहनेकी जगह, घर, देश, भूभाग, नगर, अवसर; विषय आदिको यह परिमित स्वराज्य प्राप्त हो। कारण; उपयुक्त अवसर पवित्र जगह, मंदिर आदि; अव- | स्थानेश्वर-पु० [सं०] एक प्रसिद्ध तीर्थ, थानेश्वर । काश। -ग्राही पदाधिकारी-पु० (रिलीव्हिग ऑफि- स्थापक-वि० [सं०] स्थापित करनेवाला; खड़ा करनेसर) वह अधिकारी जो किसी अन्य अधिकारीके पदका वाला; स्थिर करनेवाला। पु० मूर्तिकी स्थापना करने. भार ग्रहण कर उसे छुट्टी आदि लेकर कहीं जाने या वाला कोई संस्था स्थापित करनेवाला; किसीके पास कुछ अपने पदसे कुछ कालके लिए हटनेका अवसर दे।-व्युत- जमा करनेवाला; सूत्रधारका सहायक (ना०)। वि० स्थानभ्रष्ट, अपने स्थानसे गिरा हुआ अपने पदसे स्थापत्य-पु० [सं०] भवन-निर्माण; अंतःपुरका रक्षक हटाया हुआ, पदच्युत । -त्याग-पु० निवास स्थानका | किसी भूभागके शासकका पद वास्तुविद्या ।-कला-स्त्री० त्याग पदकी हानि। -पति-पु० स्थानका अधिकारी वास्तुविद्या । -वेद-पु० एक उपवेद, वास्तुशास्त्र।। विहार आदिका अध्यक्ष । -पाल-पु० स्थानविशेषका स्थापन-पु० [सं०] खड़ा करना, स्थित करना; स्थिर रक्षक या प्रधान निरीक्षक प्रहरी, चौकीदार । -प्राप्ति- करना, जमाना; स्थापित करना (संस्था आदि); निर्देशन, स्त्री० किसी स्थान या पदका मिलना । -बद्ध करना- रंगमंचकी व्यवस्था; ध्यान धारणा; निवासस्थान; गर्भासक्रि० (टु इंटर्न) किसी व्यक्तिकी गति-विधि स्थान- धान संस्कार; पुंसवन, प्रतिपादन; लटकाना; अंगोंको विशेषके भीतर हो सीमित कर देना, दे० 'अंतर्वासित सशक्त करना। करना'। -मंग-पु. किसी स्थानकी बर्बादी या पतन । स्थापना-स्त्री० [सं०] रखना, जमाना, स्थापित करना; -माहात्म्य-पु० किसी स्थानका गौरव या देवता आदि- सँभालना एकत्र करना; संरक्षण करना; प्रतिपादन । के कारण प्राप्त महत्त्व । -वंचित-वि० (अनसीटेड) दे० स्थापनीय-वि० [सं०] स्थापित करने योग्य । 'अनासीन'। -सीमन-पु० ( लोकेलिजेशन) इधर- | स्थापयिता(त)-वि०[सं०] स्थापित करनेवाला, संस्थापक। उधर फैले हुए कार्यों, व्यापार, उपद्रवों आदिको बटोर- स्थापित-वि० [सं०] जिसकी स्थापना की गया हो; कर या काबू में लाकर एक स्थानपर आबद्ध करना, सीमित जमाया हुआ; कायम किया हुआ, प्रतिष्ठित किया हुआ। करना; (उद्योगादिका) क्षेत्र विशेषके भीतर कर दिया | स्थाप्य-वि० [सं०] स्थापित करने योग्य (मूर्ति आदि); जाना; किसीके लिए कोई स्थान निर्धारित करना या रखे जाने योग्य किसी पदपर नियुक्त किये जाने योग्य । बताना।
| स्थायिता-स्त्री०, स्थायित्व-पु० [सं०] बने रहनेका स्थानांतर-पु० [सं०] भिन्न, दूसरा स्थान । -गत-वि० ।
| भाव; टिकाव, ठहराव दृढ़ता, स्थिरता। जो अन्यत्र चला गया हो।
स्थायी(यिन)-वि० [सं०] स्थितियुक्त ठहरने, टिकनेस्थानांतरण-पु० [सं०] [सं०] (ट्रांसफर) किसी व्यक्ति या वाला, बना रहनेवाला; विशेष स्थितिमें रहनेवाला । वस्तुका एक स्थानसे हटाकर किसी दूसरे स्थानपर पहुँ- -भाव-पु. भावका एक प्रकार जो मनमें बना रहता चाया या भेजा जाना, तबादला करना।
है और परिपाक होनेपर रसावस्थामें परिणत होता है स्थानांतरित-वि० [सं०] (ट्रांसफर्ड) एक स्थानसे दूसरे | (रति, हास, क्रोध, शोक, जुगुप्सा, विस्मय, भय, उत्साह
स्थानपर किया हुआ; जिसका तबादला हो गया हो। और निर्वेद)। -समिति-स्त्री० (स्टैडिंग कमिटी) चुने स्थानाध्यक्ष-पु० [सं०] स्थानविशेषका रक्षक या शासक । हुए सदस्योंकी वह समिति जो अगले अधिवेशनतक सब स्थानापन-वि० [सं०] दूसरेकी जगह अस्थायी रूपसे काम | कामोंकी व्यवस्था करती रहे स्थायी रूपसे बनी रहकर करनेके लिए नियुक्त।
कोई विशेष कार्य करनेके लिए नियुक्त की गयी समिति । स्थानाबद्धकारी अधिनियम-पु०(पेगिंग ऐक्ट) वह अधि-स्थाह-पु० [सं०] थाल, कटोरा, बटलोई आदि पात्र । नियम जिसके अनुसार कुछ जातियों या वर्गोंका निवास | स्थाली-स्त्री० [सं०] मिट्टीके बने हुए पाकपात्र-हंडी, विशेष स्थान या क्षेत्रतक ही सीमित कर दिया गया हो। कड़ाही आदिः सोमरस तैयार करनेके काम आनेवाला (जैसा कि दक्षिण अफ्रीकामें किया गया है)।
एक तरहका पात्र; पाटला वृक्ष । -पुलाक-पु० स्थालीमें स्थानाश्रय-पु० [सं०] खड़े होनेकी जगह, आधार । पकाया हुआ चावल ।-पुलाक-न्याय-पु० एक चावलकी स्थानासेध-पु० [सं०] किसी व्यक्तिको किसी स्थानपर | परीक्षासे सारेका पता लग जानेकी तरह अंशके आधारकैद करना या रोक रखना।
पर अंशीके संबंधमें अनुमान करना । स्थानिक-वि० [सं०] स्थानविशेषसे संबद्ध, स्थानीय । स्थावर-वि० [सं०] गतिहीन; अचल; स्थायी; निष्क्रिय पु० स्थानविशेषके लिए उपयुक्त । -स्वशासन-पु० अचल संपत्ति-संबंधी। पु०पर्वत; कोई गतिहीन या निजीव विभिन्न नगरों, जिलों आदिको अपना स्थानीय प्रबंधादि पदार्थ (पत्थर, पौधा आदि)। करनेके लिए मिला हुआ अधिकार ।
| स्थित-वि० [सं०] खड़ा; ठहरा हुआ; टिका हुआ; रहता स्थानीय-वि० [सं०] स्थानविशेषसे संबंध रखनेवाला; हुआ घटित किसी स्थानपर रखा या नियुक्त किया हुआ; स्थानविशेषके लिए उपयुक्त। -करण-पु० दे० 'स्थान- किसी नियम, आदेश आदिका पालन करने में रत; रोका सीमन' ।-स्वशासन-पु० (लोकल सेल्फ गवर्नमेंट) देश हुआ, वारिता जड़ा हुआ, जमाया हुआ; स्थिर, ढ़ा या राज्योंके नगरों, जिलों आदिको प्राप्त अपनी सड़कें कृतसंकल्प; विहित धीर कर्तव्य परायण। -प्रज्ञ-वि० बनवाने, सफाई, पानी आदिकी व्यवस्था करनेका अधि- जो संयमी, मात्मसंतुष्ट, धीर,स्थिरबुद्धि और निष्काम हो। कार वह शासनपद्धति जिसके अनुसार नगरों, जिलों स्थिति-स्त्री० [सं०] रहना; ठहरना; निवास; रुकना;
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