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सुरी-सुलाखना -नुमा-वि० सुराहीकी शकलका ।
सुलगन-स्त्री० सुलगनेकी क्रिया। सुरी-स्त्री० [सं०] देवांगना-'नरी किन्नरी आसुरी, सुरी | सुलगना-अ०कि. (लकड़ी, उपले आदिका) आग पकड़ना, रहत सिरनाय'-कवि० ।
जलने लगना; (तंबाकू आदिका) धुआँ देने लगना, पीने सुरीला-वि० मधुर स्वरवाला।
लायक होना; (ला०) ईOसे जलना, कुढ़ना। सुरुख-वि०जिसका रुख अच्छा हो, प्रसन्न दे० 'सुख'। सुलगाना-अ०कि. आग जलाना; भड़काना, झगड़ा -रू-वि० 'सुखरू'।
उकसाना; (तंबाकू आदि) पीने योग्य बनाना । सुरुचि-स्त्री० [सं०] सुंदर, संस्कृत रुचि, सुंदर प्रकाशा | सुलच्छन*-वि०, पु० दे० 'सुलक्षण' । सुदीप्ति; राजा उत्तानपादकी पत्नी, ध्रु वकी सौतेली माँ। सुलच्छनी*-वि० स्त्री० दे० 'सुलक्षणा' । वि० सुंदर रुचिवाला । पु० एक यक्ष; एक गंधर्व राजा।। सुलछ*-वि० देखनेमें सुंदर । सुरुज-वि० [सं०] बहुत बीमार । * पु० दे० 'सूर्य'। सुलझन-स्त्री० सुलझनेकी क्रिया सुलझाव । -मुखी*-स्त्री० दे० 'सूर्यमुखी'।
सुलझना-अ० कि० गुत्थी, उलझी हुई डोर आदिका सुरूप-वि० [सं०] अच्छी शक्लवाला, सुंदर ।
खुलना; मसलेका हल होना, उलझन, पेचीदगीका दूर सुरूर-पु० [अ०] आनंद; हलका, सुखद नशा, खुमार; होना। मादकता।
सुलझाना-स० क्रि० गुत्थी खोलना, उलझन दूर करना; सुरेंद्र-पु० [सं०] देवराज, इंद्र। -गोप-बीरबहूटी। इल करना, पेचीदगी दूर करना। -चाप-पु० इंद्रधनुप् ।
सुलझाव-पु० सुलझनेका भावः निबटारा। सुरेश-पु० [सं०] देवराज, इंद्रः विष्णुः शिव ।
सुलटा-वि० सीधा, 'उलटा'का उलटा। सुरेस*-पु० दे० 'सुरेश'।
सुलतान-पु० [अ०] बादशाह हिंदुस्तानके तुर्क बादशाहों सुरै*-स्त्री० एक हानिकर घास ।
और तुकाके सम्राटोंकी पदवी। सुरैत-स्त्री० रखेली। -वाल,-वाला-पु० सुरैतके पेटसे सुलताना-स्त्री० [अ०] मलिका; सुलतानकी पत्नी या जनमा हुआ लड़का।
माँ। -चंपा-पु. एक पेड़, पुन्नाग । सुरैतिन-स्त्री० दे० 'सुरैत'
सुलतानी-वि० सुलतानका, शाही । स्त्री० राज्य, बादसुरोचि*-वि• सुंदर।
शाही । -बानात-स्त्री० एक तरहकी बहुत बढ़िया और सुरोपम-वि० [सं०] देवतुल्य ।
मोटी बानात । -बुलबुल-स्त्री० बुलबुलका एक भेद सुर्ख-वि० [फा०] लाल । -पोश-वि. जो लाल कपड़े | जिसकी चोटी स्याह और पर सुखी मायल होते हैं। पहने हो। -रू-वि० जिसका मुँह लाल हो; सफल, | सुलप*-वि० दे० 'स्वल्प' । यशस्वी प्रतिष्ठा प्राप्त करनेवाला। -सर,-सार-पु० | सुलफ-वि० लचीला; नाजुक । एक चिड़िया जिसका सिर लाल होता है; (ला०) ईरानी। सुलता-पु० बिना तवा रखे भरा हुआ तंबाकू, गाँजेकी -(खों) सफ़ेद-वि० जिसकी गोराई में सुखीं मिली हो तरह भरकर पिया जानेवाला तंबाकू; चरस ।-(क)बाज़सुंदर । पु० सुखीं मिली हुई गोराई; (ला०) सोना-चाँदी।। वि० गाँजा, चरस पीनेवाला। मु०-होना-दे० 'लाल होना।
सुलभ-वि० [सं०] जो आसानीसे मिल जाय, सुखलभ्य, सुख-पु० [फा०] लाल रंग; लाल रंगका कबूतर घोड़ेका आसान; (किसीके लिए) स्वाभाविक, समुचित उपयोगी। एक रंग; आँखपर होनेवाली सुखी ।
-मद्रा-स्त्री० ( सॉफ्ट करेंसी) किसी देशकी वह मुद्रा सुर्खाब-पु० [फा०] चक्रवाक, चकवा-चकवी ।-का पर- जो अन्य देशोंके पास आवश्यकतासे अधिक संख्यामें
अनोखी बात, खास-खूबी (कलगियों में लगाये जानेके इकट्ठी हो गयी हो और जिसे वे उस देशसे और अधिक कारण)। मु०-का पर लगा होना-कोई अनोखी माल मँगाकर खर्च करने में असमर्थ हों (यह सुवर्ण में परिबात, कोई खास खूबी होना।
णत नहीं की जा सकती, अन्यथा इसे देकर अन्यान्य सी-स्त्री० [फा०] लाल रंग; लाल स्याही; शीर्षक: देशोंसे माल मँगा लिया जाता और यह बटुरने न ईंटोंका चूरा जो ईंटोंकी जुड़ाई और फर्श बनानेके काम पाती)। -मुद्रा-क्षेत्र-पु० (सॉफ्ट करेंसी एरिया) सुलभआता है ।-मायल-वि० जिसमें हल्की लाल रंगत हो। मुद्रावाले देशोंका क्षेत्र । मु०-कायम करना-शीर्षक लगाना ।
सुलभ्य-वि० [सं०] जो आसानीसे प्राप्त हो सके। सुर्ता*-वि० समझदार ।
सुललित-वि० [सं०] अति ललित, सुंदर, क्रीडाशील। सुर्ती-स्त्री० दे० 'सुरती'।
सुलह-स्त्री० [अ०] मेल, परस्पर अनुकूलता; लड़ाई या सुलंक, सुलंकी*-पु० दे० 'सोलंकी' ।
झगड़ेके बाद किया जानेवाला मेल, समझौता । -कुलसुलक्ष-वि० [सं०] शुभ लक्षणोंवाला; भाग्यवान् । वि. सबके साथ मेल रखनेवाला, जो किसीके साथ सुलक्षण-वि० [सं०] सुंदर या शुभ लक्षणोंवाला; भाग्य- शत्रुभाव न रखे । स्त्री० सबके साथ मेल, मैत्री रखना। शाली । पु० सुंदर या शुभ लक्षण; परीक्षण ।
-नामा-पु. वह कागज जिसमें सुलह हो जानेकी बात सुलक्षणा-वि०सी० [सं०] सुंदर या शुभ लक्षणोंवाली। या उसकी शर्ते लिखी गयी हों, राजीनामा, संधिपत्र । सुलक्षणी-वि०, स्त्री० दे० 'सुलक्षणा'।
सुलाखना-* सक्रि० छेद करना; + सोने-चाँदीको तपा. सुलग-अ० निकट, पास ।
कर परखना।
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